शहीद पंकज को आखिरी सैेल्यूट करने उमड़ा जन समुद्र
जम्मू कश्मीर के बड़गांव में विमान के क्रेस होने से शहीद हुए पंकज नौहवार को सेल्यूट देने के लिए जन समुद्र उमड़ पड़ा। शुक्रवार दोपहर बाद शहीद पंकज पंचतत्व में विलीन हो गए। शहीद के छोटे भाई अजय कुमार ने उनके सवा वर्षीय पुत्र रुद्राक्ष ने मुखाग्नि दी। शव यात्रा में करीब पंद्रह हजार लोग शामिल हुए। पंकज भैया अमर रहे के नारों से संपूर्ण इलाका गूंज उठा और पाकिस्तान के खिलाफ लोगों में आक्रोश भी रहा।
संसू, बाजना (मथुरा): जम्मू कश्मीर के बड़गांव में विमान के क्रेश होने से शहीद हुए पंकज नौहवार को सेल्यूट देने के जन समुद्र उमड़ पड़ा। शुक्रवार दोपहर बाद शहीद पंकज पंचतत्व में विलीन हो गए। उनके सवा वर्षीय पुत्र रुद्राक्ष ने शहीद के छोटे भाई अजय कुमार के साथ मुखाग्नि दी। शव यात्रा में करीब पंद्रह हजार लोग शामिल हुए। पंकज भैया अमर रहे के नारों से संपूर्ण इलाका गूंज उठा और पाकिस्तान के खिलाफ लोगों में आक्रोश भी रहा।
मांट तहसील के गांव जरैलिया के मूल निवासी पंकज कुमार नौहवार तीन दिन पहले जम्मू कश्मीर के बड़गांव में विमान के क्रेश होने से शहीद हो गए थे। तीसरे दिन उनका पार्थिव शरीर दोपहर में गांव जरैलिया पहुंचा। हालांकि पंकज का पार्थिव शरीर गुरुवार की शाम को ही मथुरा आ गया था और उसे सैनिक अस्पताल में रखा गया। पहले यहां से पार्थिव शरीर को बालाजीपुरम सारंग विहार कॉलोनी ले जाया गया और इसके बाद पैतृक गांव ले जाया गया था। सुबह से लोग यमुना एक्सप्रेस वे के किनारे बाजना कट के समीप शहीद के अंतिम संस्कार की तैयारी में लग गए थे। एक हजार छोटे झंडे और सौ बड़े झंडे भी मंगाए थे। सवा क्विटल फूल भी शहीद की शवयात्रा में बिखेरे गए। शहीद के चाचा, ताऊ और हजारों ग्रामीण घर पर जमे हुए थे। पार्थिव शरीर को गांव तक तो लाया गया पर किन्हीं कारणों से धर के बजाए सीधे समाधि स्थल पर ले गए। तीन दिन से इंतजार कर रही महिलाएं पार्थिव शरीर के घर न आने पर अंतिम संस्कार स्थल की तरफ दौड़ पड़ी। युवा तिरंगा हाथ में लिए पंकज भैया अमर रहे के नारे लगाते रहे, पाकिस्तान के खिलाफ भी युवाओं ने आक्रोश जाहिर किया। दूसरे दिन भी बाजना का बाजार बंद रहा। सुबह से लेकर अंतिम संस्कार होने तक हजारों युवा तिरंगा लेकर बाजना, जरैलिया और अंतिम संस्कार स्थल के बीच जुलूस के रूप में नारेबाजी करते रहे। यमुना एक्सप्रेस वे और उसके ढलान पर कहीं पर भी एक इंच जमीन ऐसी नहीं थी, जहां कोई खड़ा हो सके। लोगों ने अंतिम दर्शन करने के लिए पहले स्थान घेर लिए थे।