कदम्बखण्डी में हुई चीरहरण लीला, पढ़ें क्या है ब्रज की ये अनूठी परंपरा
नन्दलाल ने किया सखियों का चीर हरण। राधाकृष्ण के जयकारों से गूंजा कदम्बखंडी।
मथुरा, जेएनएन। बिना कपड़ों के यमुना में स्नान करने पर श्रीकृष्ण ने ब्रज गोपियों के वस्त्र चुराए। यहीं द्वापर कालीन लीला एक बार फिर जीवंत हो उठी। माखन चोर कान्हा की चीरहरण लीला को देखकर श्रद्वालु आन्नद से भाव विभोर हो उठे। इस अद्भुत लीला को देखने के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़े।
मंगलवार को राजस्थान के कांमा तहसील के अर्न्तगत गांव पाछौल में स्थित राधाकृष्ण की प्राचीन लीला स्थली कदम्बखंडी में चीरहरण लीला का आयोजन किया गया। मान्यता है कि आज से हजारों वर्ष पहले यहां यमुना नदी बहा करती थी। एक दिन जब ब्रज की गोपिकाएं यमुना में निवस्त्र स्नान कर रही थी, तो माखन चोर श्रीकृष्ण ने उनके वस्त्रों का हरण कर कदम के वृक्ष पर जा बैठै थे। जब गोपियां स्नान करके के यमुना से बाहर आती है और अपने वस्त्रों को न पा कर दुखी हो जाती है। जब वो मुरली मनोहर को कदम के वृक्ष पर बैठा देख, उनसे प्रर्थाना करती है कि हे कृष्ण हमारे वस्त्र वापस कर दो। जब श्रीकृष्ण उनसे वचन लेते है कि आज के बाद वो कभी निवस्त्र स्नान नही करेगी। इस चीरहरण लीला का मंचन उसी जगह किया गया। जहां कभी यमुना बहा करती थी। श्रीकृष्ण की इस अनोखी लीला के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। इस अद्भुत लीला की एक झलक पाने के लिए श्रद्वालु आतुर नजर आ रहे थे।
नागा बाबा की उलझी लट सुलझाई थी राधाकृष्ण
अपने भक्त की उलझी लटा सुलझाने को बृषभानु दुलारी के साथ प्राकट्य हुए थे नन्दलाल, आज भी उक्त प्राचीन स्थल पर अपने भक्त की लट सुलझाते हुए कृष्ण राधा के दिव्य व मनोहर झांकी के दर्शन होते है।
राजस्थान के कांमा तहसील में स्थित प्राचीन लीलास्थली कदम्बखंडी, जहां तपस्या कर रहे अपने भक्त की उलझी लटा को सुलझाने के लिए स्वंय श्रीकृष्ण राधारानी के साथ प्राकट्य हुए थे। आज से करीब चार सौ साल पहले बैरागी संत नागा बाबा कदम्बखंडी के इस प्राचीन लीला स्थली पर तप कर रहे थे। तपस्या करते समय नागा बाबा की लटें झाड़ियों में उलझ गई थी। जब उनकी उलझी हुई लटों को अन्य संतो देखा और उनसे लट सुलझाने के लिए कहा। संतो की बात पर मुस्कारते हुए नागा बाबा ने कहा कि जिसने उलझाई है वही सुलझाएगा। तब स्वंय श्रीकृष्ण प्रकट होकर उनकी लट सुलझाने के लिए आये, लेकिन नागा बाबा ने कहा कि मैं कैसे यकीन करू की तुम ही कृष्ण हो पहले राधारानी को अपने साथ लेकर आओं। जब भगवान श्रीकृष्ण राधारानी को अपने साथ लेकर आये और उनकी उलझी हुई लटों को अपने हाथों से सुलझाया। इतना ही नहीं दया की सागर राधारानी ने स्वंय अपने हाथो से खीर बनाकर नागा बाबा को खिलाई थी।
राधाबाग व करहला में महारास आाज
बूढी लीला महोत्सव के कार्यक्रमों के चलते बुधवार को करहला व कस्बे के राधाबाग में महारास लीला का आयोजन किया जाएगा। वहीं महारास लीला के साथ ही बूढ़ी लीला महोत्सव का समापन भी हो जाएगा।