मथुरा में रसखान समाधि पर उठे सवाल, पद्मश्री ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
प्रमाणिकता सुनिश्चित कराने की मांग, व्याख्यान केंद्र के उ'चीकृत को सरकार ने दिए हैं 3.33 करोड़
मथुरा, जासं: उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष और पद्मश्री मोहन स्वरूप भाटिया ने महावन स्थित रसखान की समाधि को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है। इसमें दावा किया है कि उक्त समाधि रसखान की है ही नहीं।
पद्मश्री भाटिया ने अपने दावे में अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी (एएमयू) की एक रिसर्च का हवाला दिया है। एक घटना का भी उल्लेख किया है कि किस तरह प्रदेश सरकार के तत्कालीन मंत्री अम्मार रिजवी ने यहां (रसखान की समाधि पर) होने वाले सुलहकुल कार्यक्रम को निरस्त कर दिया था। पद्मश्री भाटिया ने इस स्थल पर स्थित व्याख्यान केंद्र को अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ उच्चीकृत किए जाने के लिए 3.33 करोड़ रुपये स्वीकृत करने पर भी सवाल खड़ा किया है। कहा कि पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने बिना किसी प्रमाण के इसे रसखान समाधि का बोर्ड लगा कर भ्रांति उत्पन्न की है। उन्होंने मुख्यमंत्री से इस स्थल की प्रमाणिकता सुनिश्चित कराने की मांग की है। 'रसखान की समाधि को राज्य पुरातत्व विभाग ने संरक्षित किया है। इसकी मान्यता है समाधि रसखान की थी। इस पर उस समाधि में लगे पत्थरों का विश्लेषण किया गया। यह उसी काल के निकले। इसके अलावा रसखान रॉयल परिवार से थे। वह चिह्न भी मिले हैं'।
- एसके दुबे, पुरातत्व अधिकारी, मथुरा