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एक बार फिर यमुना स्नान से भगवान रंगनाथ ने किया परहेज

परंपरा से हटकर पुष्करणी को यमुना स्वरूप मानकर किया स्नानबढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते यमुना तक भी शोभायात्रा का पहुंचना रद

By JagranEdited By: Published: Wed, 07 Apr 2021 06:55 AM (IST)Updated: Wed, 07 Apr 2021 06:55 AM (IST)
एक बार फिर यमुना स्नान से भगवान रंगनाथ ने किया परहेज
एक बार फिर यमुना स्नान से भगवान रंगनाथ ने किया परहेज

संवाद सहयोगी, वृंदावन: यमुना में प्रदूषण बढ़ा तो इसका प्रभाव न केवल श्रद्धालुओं की भावना पर पड़ा, बल्कि मंदिर और मठों की परंपरा भी बदल गई। शहर के सभी प्राचीन मंदिरों में ठाकुरजी की सेवा हो या भोग प्रसाद तैयार करना हो, यमुनाजल का ही उपयोग किया जाता रहा। जब से यमुना का जल कलुषित हुआ। मंदिरों में परंपरा से हटकर पहले तो कुएं के जल का इस्तेमाल होने लगा और अब आरओ से जल को स्वच्छ करने के बाद ही उपयोग में लाया जाता है। रंगनाथ मंदिर में ब्रह्मोत्सव पर हर साल नौवें दिन ठाकुरजी यमुना किनारे पहुंचते थे। यहां गेंद-बच्छी का खेल भगवान रंगनाथ और मां गोदाम्मा के बीच होता और दोनों ही यमुना स्नान करते, इसके बाद सेवायत वैदिक पूजन के साथ ठाकुरजी की आरती उतारते थे। यमुना में बढ़े प्रदूषण ने ब्रह्मोत्सव की परंपरा पर भी प्रहार किया। दस साल से भगवान रंगनाथ अब यमुना स्नान नहीं करते। मंदिर में स्थित पुष्करणी को ही यमुना स्वरूपा मानकर उसी में ठाकुरजी को स्नान करवाया जाता है। इस बार तो ठाकुरजी की शोभायात्रा यमुना तक भी नहीं पहुंची।

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रंगनाथ मंदिर में चल रहे ब्रह्मोत्सव में बदली परंपरा के बारे में मंदिर की सीईओ अनघा श्रीनिवासन ने बताया करीब दस साल पहले ब्रह्मोत्सव पर जब ठाकुरजी की शोभायात्रा परंपरागत रूप से यमुना किनारे पहुंची, पूरे वैदिक रीतिरिवाज के साथ गेंदबच्छी का खेल हुआ और पूजा-अर्चना की विधि संपन्न हुई। जब ठाकुरजी को यमुना स्नान करवाने का मौका आया, तो कुछ सेवायत पहले यमुना में प्रवेश कर गए और यमुना के अंदर की कीचड़ ऊपर बहने लगी। इसे देख तत्काल निर्णय लिया गया कि ठाकुरजी को यमुना स्नान न कराया जाए और मंदिर लौटकर पुष्करणी को ही यमुना स्वरूपा समझकर उसमें स्नान कराया गया। इसी के बाद से अब ठाकुरजी को यमुना स्नान बंद करवा दिया गया। इस बार कोरोना एकबार फिर पैर पसार रहा है, इसलिए पहली बार है कि शोभायात्रा को यमुना तट तक नहीं ले जाया जा सका और सारी लीलाएं मंदिर परिसर में ही हुईं।


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