आवत जानि बरात बर सुनि गह गहे निसान..
श्री रामलीला सभा के तत्वावधान में मर्यादा पुरुशोत्तम प्रभु श्रीराम की बारात में दर्जनों कलात्मक झॉंकियों बैण्ड बाजों की सुमघुर स्वरलहरियों के साथ बाटी वाली कुंज पर बृजधाम सेवा समिति के संयोजन से बने वराम बारात प्रस्थानÞ से प्रारम्भ होकर चौक बाजार में स्व0 किषन चन्द षर्मा चैरिटेबिल ट्रस्ट के तत्वावधान में पं0 मनोज षर्मा व पं0 बादल षर्मा के संयोजकत्व में बनी अवधपुरी पहुंची ।
मथुरा : भगवान श्रीकृष्ण की नगरी में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम दूल्हा बनकर निकल तो त्रेता युग जीवंत हो उठा। श्रीराम के जयघोषों से आकाश गूंज रहा था और हर तरफ मंगल ही मंगल होने लगा। श्रीराम की बरात के दर्शन करने को श्रद्धालु उमड़ पड़े। जनता में अपार उत्साह था। श्रीराम की जगह-जगह आरती उतारी और पुष्प बरसात से बरात का स्वागत किया गया।
श्रीराम लीला सभा के तत्वावधान में आयोजित रामलीला महोत्सव में रविवार को राम बरात निकाली गई। पूरे शहर में हर्ष और उल्लास था। राम बरात का मार्ग सतरंगी रोशनी में सराबोर था। नर-नारी श्रीराम की बरात का उत्सुकता से इंतजार कर रहे थे। हर तरफ भगवान श्रीराम के जयघोष से वातावरण गूंज रहा था। शाम को दर्जनों झांकियों के साथ भगवान श्रीराम की बरात बैंडबाजों की सुमधुर स्वरलहरियों के साथ बाटी वाली कुंज से शुरू हुई। श्रीराम, भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न का श्रृंगार नयनाभिराम किया गया। मुकुट स्वरूपों की सुंदरता में चार-चांद लगा रहे थे। बैंडबाजों की धुन पर श्रद्धालु झूमते-गाते चल रहे थे। बरात यहां से रवाना होने के बाद चौक बाजार में स्व. किशनचंद शर्मा चेरिटेबल ट्रस्ट के संयोजन में बनी अवधपुरी पर पहुंची। मनोज शर्मा, बादल शर्मा के संयोजकत्व में अवधपुरी बनाई गई। यहां आदर सत्कार के बाद बरात स्वामी घाट, छत्ता बाजार, होली गेट होती हुई भरतपुर गेट स्थित जनकपुरी पहुंची। यहां पर प्रभु राम और जानकी के विवाहोत्सव की लीला हुई। जनकपुरी समिति द्वारा मुनि वशिष्ठ, विश्वामित्र, राजा दशरथ का मिलनी कर स्वागत किया गया। विवाह की लीला के अंतर्गत माता जानकी ने प्रभु श्रीराम और प्रभु श्रीराम ने माता जानकी का वरमाला पहना कर वरण किय तो वातावरण श्रीराम - माता जानकी की जयकारों से गूंज उठा। रविकांत गर्ग, सभापति जयंती प्रसाद अग्रवाल, उपसभापति जुगल किशोर अग्रवाल, नंदकिशोर अग्रवाल, प्रधानमंत्री मूलचंद गर्ग, प्रदीप कुमार, विजय कुमार, शैलेश अग्रवाल, शशांक पाठक, कैलाशचंद, अजयकांत गर्ग, अमित भारद्वाज, सोहनलाल शर्मा, प्रदीप गोस्वामी, अजय, बनवारी लाल गर्ग, संजय, विनोद अग्रवाल, अनूप, मदनमोहन श्रीवास्तव, गोविद, राजनारायण गौड़, रशि कुरैशी आदि मौजूद रहे।
राम बरात में यह शामिल थीं झाकियां-
घोड़े पर झंडा, ऊंट पर दौसा, गणेशजी, तिरुपति बालाजी, वामन देव, मोर पर कार्तिकेय, चंद्रलोक, गरुण पर गणेश, अखाड़ा महावीर गढ़, दाऊजी, शेषनाग पर लक्ष्मी- विष्णु, श्रीनाथजी, राधा कृष्ण, मधुवन बिहार, कामदेव द्वारा शंकरजी की तपस्या भंग, बांके बिहारी, अन्नपूर्णा, गऊगोपाल, अनुच्छेद 370, हनुमान बंदरों सहित, आखड़ा मां कैला देवी, रथ पर सूर्यदेव, गणेशजी की सेवा करती रिद्धि-सिद्धि, धनवर्षा करते कुबेर, महाकाल की पूजा करते अघोरी, राधा का श्रृंगार करते कृष्ण,कैलादेवी भवन, सरस्वतीजी के रथ को खींचते मयूर, रंगेश्वरी देवी , खाटूश्याम, अखाड़ा पीरबाबा, चामुंडा देवी, भूतेश्वर महादेव, मेंहदीपुर बालाजी, गोपेश्वरनाथ महादेव, परीलोक, मन:कामेश्वर महादेव, गोविद देव मंदिर जयपुर की झांकी, रुक्मणि विवाह, गोवर्धन लीला, श्रीनाथजी, कालभैरव की झांकियां शामिल रहीं। झूमकर नाचे श्रद्धालु, मेले जैसा वातावरण-
मथुरा : भगवान श्रीराम अपने भाइयों के साथ दूल्हा बनकर निकले तो श्रद्धालु भाव-विभोर होकर दर्शन करने को उमड़ पड़े। बरात में श्रद्धालु झूमकर नाच रहे थे। सुध-बुध खोए भक्त बरात को अपलक निहार रहे थे। राम बरात मार्ग के नजारे भी जुदा थे। हर तरफ उत्साह का वातावरण था और चाट-पकौड़ी का बाजार सजा था। बच्चे भी धनुष, गदा, तलवार आदि खरीदने की जिद कर रहे थे। भगवान के अलौकिक स्वरूप के नजारे को भक्त कैमरों में कैद कर रहे थे। बरात के मार्ग पर पैर रखने तक का स्थान नहीं था। स्वरूपों की झलक पाने को लोग बेताब दिख रहे थे। खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। हर उम्र के लोग बरात को निहार रहे थे।