एक माह में ही धंसा राधाकुंड रेलवे स्टेशन
जून के अंतिम सप्ताह में हुआ था शुभारंभ, भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने की कोशिश
संवादसूत्र, गोवर्धन: करीब एक महीने पहले शुरू किया गया राधाकुंड रेलवे स्टेशन रविवार को जमीन में धंस गया। भवन में भी दरार पड़ गई। इससे रेलवे प्रशासन में खलबली मची हुई है। अधिक बरसात होने का कारण बताकर रेलवे का निर्माण विभाग भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने में लग गया है।
राधाकुंड रेलवे स्टेशन के भवन का निर्माण एक करोड़ बीस लाख रुपये की लागत से कराया गया। 27 जून को शुभारंभ किया गया। इसके साथ ही पैसेंजर ट्रेनों का ठहराव होने लगा और मुडि़या पूíणमा मेला पर टिकिट ¨वडो की भी शुरूआत हो गई। निर्माण कार्य की कमियां उस समय उजागर हो गई, जब अचानक स्टेशन का फर्श धंस गया और भवन में भी दरार पड़ गई। टाइल्स ओर सीढि़यां भी धंस गई। कुíसयां तक भी नहीं बची। रेलवे कंस्ट्रक्शन विभाग बि¨ल्डग धंसने का ठीकरा बरसात पर फोड़कर जांच कराने से बच रहा है। रविवार को रेलवे के एसएससी वर्क आरके वशिष्ठ ने स्टेशन का निरीक्षण भी किया। उन्होंने बताया कि राधाकुंड रेलवे स्टेशन का निर्माण खेतों के बीच होने के कारण जमीन धंस गई है। यही कारण रहा रेलवे स्टेशन की बि¨ल्डग और प्लेटफार्म धंस गए। वहीं इंजीनियरों का मानना है कि बि¨ल्डग बरसात के कारण धंसी है। इस प्रकरण को लेकर रेलवे कंस्ट्रक्शन के डिप्टी चीफ इंजीनियर विवेक कुमार ने कुछ कहने से इन्कार करते हुए कहा कि इस मामले में पीआरओ रेलवे ही कोई जानकारी दे सकते हैं। पीआरओ संचित त्यागी ने बताया कि अभी ऐसा कोई मामला उनके संज्ञान में नहीं आया है। -पहले भी आए ऐसे मामले: रेलवे के निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार उजागर होने की यह कोई नई कहानी नहीं है। इससे पहले भी प्लेटफार्म नंबर एक को द्वितीय एंट्री से जोड़ने वाला ओवरब्रिज शुभारंभ होने से वर्ष 2011 में लटक गया। इसके बाद लेन-देन के आरोप को लेकर दो इंजीनियरों की लड़ाई पुलिस तक पहुंच गई है। ओवरब्रिज का एंगल टूटकर प्लेटफार्म पर गिर गए थे।