राधा-श्याम पर कुंड लगा बोर्ड, पानी नहीं पीने योग्य
राधा और श्याम कुंड के जल को शुद्ध करने के प्रयास रहे असफल
संवाद सूत्र, गोवर्धन(मथुरा): जलाशयों की अनदेखी के घातक परिणाम सामने आने लगे हैं। इनमें भरा जल बेकार है। राधाकुंड स्थित राधा और श्याम कुंड पर चेतावनी बोर्ड लगा दिया गया है। अब इसका पानी आचमन योग्य नहीं है। ग्रीन नेशनल ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश पर दोनों कुंडों के जल का बैक्टीरिया के माध्यम से निर्मल किए जाने की प्रशासन की कोशिश भी असफल हो गई।
विशाल जलाशयों के शहर और कस्बों में पेयजल संकट कोई एक दिन में पैदा नहीं हुआ है। इनकी अनदेखी का खामियाजा लोगों को भुगताना पड़ रहा है। गिरिराज जी की सात कोसीय परिक्रमा क्षेत्र में स्थित राधाकुंड में दो विशाल जलाशय हैं राधा और श्याम कुंड। दोनों कुंडों का अपना धार्मिक महत्व है। लाखों लोगों की धार्मिक आस्था इससे जुड़ी हैं। दोनों कुंड पास-पास हैं। बीच में एक दीवार है। मगर, इसके नीचे से दोनों कुंडों का पानी आपस में मिल रहा है। अथाह पानी से लबालब दोनों जलाशयों के जल का आचमन लेने से श्रद्धालु बीमार हो गए। मामला एनजीटी के समक्ष रखा गया। समाजसेवी सुशील राघव ने एनजीटी में याचिका दायर कर जल को निर्मल बनाने के मांग की। एनजीटी ने कुंडों के जल को शुद्ध करने आदेश जारी कर दिए। इसके बाद प्रशासन की नींद टूटी। प्रशासन ने कुंड के पर चेतावनी बोर्ड लगा दिए। इन पर लिखवा दिया गया, कुंडों का पानी आचमन योग्य नहीं है। इससे श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंची। इन्हीं कुंडों में स्नान कर लोग अहोई अष्टमी की रात को संतान प्राप्ति की कामना करते हैं। एनजीटी के आदेश पर प्रशासन ने जल शुद्धि के प्रयास किए। तीन एकड़ के विशाल जलाशयों के जल शुद्धि करने का टेंडर उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने जेएस वाटर एनर्जी लाइफ प्रा.लि. गुरुग्राम को दिया। कंपनी ने दोनों कुंडों में न्यूलगी बैक्टीरिया डाला। पानी के नमूने लेकर परीक्षण कराया गया। परीक्षण में माइक्रोन्यूट्रिएंट कम पाए गए। राधाकुंड के जल में टीडीएस 775.61 और श्यामकुंड में 775.08 एमएल पाया गया, जो 1000 मिलीग्राम प्रति लीटर होना चाहिए। राधाकुंड में डीओ 6.96 व श्याम कुंड में 6.96 पाया गया। इसका मानक 5 मिलीग्राम प्रति लीटर है। बीडीओ 15.03 श्यामकुंड के जल में 15.02 पाया गया। यह भी मानक से अधिक मिला। इसका मानका 5 मिलीग्राम प्रति लीटर है। कंपनी ने तीन-चार बार प्रयोग किए, पर अंत में असफलता ही हाथ लगी। नतीजा यह रह कि, जल में आक्सीजन की मात्रा शून्य रह गई।