ठा. राधारमण के महाभिषेक दर्शन को उमड़े श्रद्धालु
प्राकट्योत्सव पर सेवायतों ने किया महाभिषेक उतारी आरती बैशाख शुक्ल पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है उत्सव
वृंदावन, जासं। ठाकुर राधारमणलाल जू के प्राकट्योत्सव पर मंदिर में शनिवार को उत्सव का माहौल रहा। सुबह पंचामृत से महाभिषेक हुआ तो इस विलक्षण पल का साक्षी बनने हजारों भक्त मौके पर मौजूद रहे।
477 वर्ष पूर्व बैशाख शुक्ल पूर्णिमा की प्रभात बेला में शालिग्राम शिला से राधारमणदेव जू का प्राकट्य हुआ था। वे चैतन्य महाप्रभु के अनन्य भक्त गोपाल भट्ट गोस्वामी के प्रेम के वशीभूत होकर प्रकट हुए थे। इससे पूर्व वे शालिग्राम शिला का विधिविधान पूर्वक पूजन करते थे। मंदिर सेवायत और गोपाल भट्ट गोस्वामी के शिष्य दामोदर गोस्वामी के वंशज पद्मनाभ गोस्वामी ने बताया गोपाल भट्ट गोस्वामी को अपनी आराध्य शालिग्राम शिला में ही गोविददेव जी का मुख, गोपीनाथजी का वक्षस्थल और मदनमोहनजी के चरणारविद के दर्शन की आकांक्षा थी। बैशाख शुक्ल पूर्णिमा के दिन ही जब भक्त प्रहृलाद की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान नृसिंहदेव प्रकट हुए तो गोपाल भट्ट गोस्वामी ने अपने आराध्य से कहा क्या मेरा भी ऐसा सौभाग्य होगा, इस शालिग्राम शिला से प्राकट्यरूप से दर्शन कर सकूंगा। परम भक्त की वेदना प्रभु से छिपी नहीं रही और वैशाख शुक्ल पूर्णिमा की भोर में ठा. राधारमणदेव शालिग्राम शिला से प्रकट हुए। प्राकट्यकर्ता गोपाल भट्ट गोस्वामी की प्रेरणा से ही वैशाख शुक्ला पूर्णिमा को उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है।
ठा. राधारमण देवी के प्राकट्योत्सव शनिवार को मंदिर में अनेक धार्मिक अनुष्ठानों के साथ मनाया गया। प्रात:काल वैदिक ऋचाओं की अनुगूंज के मध्य ठाकुरजी के श्रीविग्रह का 2100 किलो दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, पंचगव्य, सर्वाेषधि, गंधाष्टक, बीजाष्टक समेत 54 जड़ी-बूटियों से महाभिषेक कराया गया।