राधा कृष्ण का लिया नाम, पोशाक बनाने का किया काम
गीता और मिथला किसी तरह विकास खंड मथुरा पहुंची। यहां उनकी मुलाकात एडीओ आइएसबी नरेंद्र शर्मा से हुई जिन्होंने महिलाओं का एक समूह बनाने की बात कही।
जागरण संवाददाता, मथुरा: वर्ष 2017 में काम की तलाश में निकली गीता और मिथला किसी तरह विकास खंड मथुरा पहुंची। यहां उनकी मुलाकात एडीओ आइएसबी नरेंद्र शर्मा से हुई, जिन्होंने महिलाओं का एक समूह बनाने की बात कही। उन्हें समूह के बारे में जानकारी दी। इसके बाद वह अपने गांव गोपालगढ़ पहुंची। यहां उन्होंने अपने आसपड़ोस की महिलाओं से अपना काम शुरू करने के लिए प्रेरित किया। दस महिलाओं का एकत्रित कर श्रीराधा कृष्ण महिला स्वयं सहायता समूह का गठन किया। इसके बाद सभी महिलाओं लड्डू गोपाल की पोशाक बनाने का फैसला किया।
समूह की कोषाध्यक्ष गीता का कहना है कि शुरुआती दिनों में उन्हें माल खरीदकर लाने और फिर बनी हुई पोशाक बनाकर बेचने में दिक्कत हुई थी। कई-कई महीने माल रखा रहता था। समय के साथ वृंदावन के कुछ दुकानदारों से हमारा संपर्क हुआ। अब वह लोग हमारे गांव से ही पोशाक ले जाते हैं। आम दिनों में भी हमारे समूह की महिलाएं पांच-छह हजार रुपये महीने कमा रही हैं। सभी महिलाएं अपने अपने घर पर ही पोशाक बनाने का काम करती हैं। जब जिसको अपने घर का काम करने के बाद फुरसत मिलती है तभी वह पोशाक बनाने का काम शुरू कर देती हैं। समूह की अध्यक्ष मिथिला का कहना है कि कोरोनाकाल से पहले उन्होंने 15 हजार रुपये तक एक महीने में इनकम की है। उन्होंने बताया कि जब उनकी पोशाक आनलाइन बिकना शुरू होंगी तो वह घर बैठे ही बहुत अच्छी कमाई होगी।