रेबीज के मात्र 320 वॉयल मिले, डिमांड भेजी थी तीन हजार की
एक सप्ताह बाद फिर रेबीज के इंजेक्शन को लेकर मारामारी संभव लखनऊ से ये वॉयल भी डिमांड भेजने के सवा माह बाद मिले
मथुरा, जासं प्रदेश सरकार के बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। सवा महीने बाद विभाग जिला अस्पताल को रेबीज के मात्र 320 वॉयल ही उपलब्ध करा सका है, जबकि लखनऊ तीन हजार वॉयल की डिमांड भेजी गई थी।
शहर में श्वान और बंदर के काटे के पीड़ित सवा महीने से जिला अस्पताल में रेबीज के इंजेक्शन के लिए भटक रहे हैं। शुक्रवार को विभाग तीन हजार वॉयल की डिमांड के एवज में मात्र 320 वॉयल ही उपलब्ध करा सका है। अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्या को देखते हुए यह स्टॉक बमुश्किल एक सप्ताह खींच पाएगा। उसके बाद रेबीज के इंजेक्शन के लिए फिर वही मारामारी का आलम देखने को मिलेगा। रेबीज के इंजेक्शनों को लेकर जनवरी से यही स्थिति बनी हुई है।
श्वान से ज्यादा लोग बंदरों की आक्रामकता और हमलों से परेशान हैं। जिला अस्पताल में रैबीज के इंजेक्शन उपलब्ध न होने के कारण पीड़ितों को बाजार से खरीदकर इंजेक्शन लगवाने पड़ रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक अस्पताल की ओपीडी में सौ से डेढ़ सौ पीड़ित इंजेक्शन के लिए आते हैं। इनमें सबसे ज्यादा संख्या बंदरों के काटे की होती है। अस्पताल परिसर में प्रधानमंत्री आरोग्य योजना के तहत खुले मेडिकल पर दवाओं की सूची में शामिल होने के बाद भी रेबीज के इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हैं। तब मजबूरी में पीड़तों को बाजार से रेबीज के इंजेक्शन खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। फार्मासिस्ट गिर्राज सारस्वत ने बताया कि शुक्रवार को 320 वॉयल आ गए है, जो मात्र एक सप्ताह तक का ही स्टॉक है। एक व्यक्ति को चार डोज लगाई जाती हैं। हमने तीन माह के हिसाब से तीन हजार वॉयल की डिमांड भेजी थी।