हम तो फंस गए नगर निगम के भंवर में
गांव तारसी में टूटे पड़े रास्ते, बिखरी पड़ी गंदगी, साफ-सफाई के लिए नहीं पहुंच रहे कर्मचारी
मथुरा, जासं। पहले गांव था, तब प्रधान से साफ-सफाई कराने के लिए कह सकते थे। पंचायतीराज विभाग के सफाई कर्मचारी भी आते थे। अब नगर निगम में गांव शामिल हो गया। तब से न गांव में कोई साफ-सफाई कराने के लिए आ रहा है और न ही विकास कार्य कराए जा रहे हैं। निगम के भी अधिकारी गांव नहीं आते हैं। दस बारह किलोमीटर दूर चलकर शिकायत करने के लिए जाते हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है।
यह पीड़ा है नगर निगम की सीमा के अंतिम गांव तारसी के ग्रामीणों की। गांव की गलियां क्षतिग्रस्त हो गई है। उनकी मरम्मत तक नहीं कराई जा रही है। मुख्य मार्ग भी टूटा हुआ पड़ा है। इससे आवाजाही में लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। गलियां कूड़े करकट से अटी पड़ी है। नालियों का पानी तक नहीं निकल पा रहा है। गलियों में गुजरना मुश्किल हो रहा है। दुर्गंध से घरों मे भी नहीं रह पा रहे हैं। गंदगी जनित बीमारियों से ग्रामीणों को छुटकारा नहीं मिल पा रहा है। अधिकारी भी गांव की हालत नहीं देख रहे हैं। जनप्रतिनिधियों से भी शिकायत की जा रही है। मगर, सफाई तक नहीं हो पा रही है। विकास कार्य ठप पड़े हुए हैं। पहले गांव तो तब सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था। न कहीं गंदगी रहती थी और न ही विकास कार्य रुकते थे। अब नगर निगम में आ गया। तब से यहां कोई काम नहीं हो पा रहा है।
ठाकुर रौतान ¨सह, ग्रामीण जनप्रतिनिधि विकास कराने का दावा करते हैं, लेकिन गांव की गलियां कच्ची पड़ी हुई है। कीचड़ जमा हो गई। सफाई कर्मचारी आ नहीं रहे हैं। लोगों को गंदगी के बीच रहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
वासुदेव ¨सह, ग्रामीण