जन्मस्थान से चार अवसर पर जाएगा शहीदों के घर प्रसाद
श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने लिया फैसला, इस बार जन्माष्टमी से की जा रही है नई शुरुआत
जागरण संवाददाता, मथुरा: भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान से नई परंपरा आरंभ होने जा रही है। देश की सुरक्षा को चौकस रहकर प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदों के प्रति श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान अपनी कृतज्ञता व्यक्त करेगा। इसके लिए वर्ष में चार अवसरों पर शहीदों के घर प्रसाद भेजा जाएगा। शरद पूर्णिमा, दीपावली, गुरुपूर्णिमा और जन्माष्टमी ये अवसर हैं। शुरुआत इस बार जन्माष्टमी से होगी।
श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने देश पर मर मिटने वाले मथुरा के सैनिकों के परिवार तक चार प्रमुख त्योहारों पर मंदिर से सीधे उनके घर पर प्रसाद भेजने का निर्णय लिया है। निर्णय के तहत शहीदों के घर तक प्रसाद की टोकरी भेजी जाएगी। जन्माष्टमी पर जाने वाले प्रसाद में कृष्ण को लगने वाले भोग के साथ नंदोत्सव में लुटाए जाने वाले खिलौने भी रखे जाएंगे। यह खिलौने शहीद परिवार के बच्चों के लिए होंगे। इस निर्णय के बारे में जानकारी देते हुए संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि इसी वर्ष से इसे लागू किया जाएगा। पहली बार में जितने शहीदों के परिवार उनके संपर्क में आ सकेंगे, वहां प्रसाद भेजा जाएगा। इसके साथ ही शरद पूर्णिमा, गुरुपूर्णिमा, दीपावली पर भी इसी तरह से प्रसाद भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि संस्थान के ट्रस्टी अनुराग डालमिया इस प्रयास से सहमत हैं और अगले वर्ष इसे और भी भव्यता के साथ किए जाने पर सहमत हैं। उन्होंने बताया कि शहीद के परिवार के साथ ही गांववासियों के लिए भी जन्मस्थान से पटके भेजे जाने पर विचार चल रहा है। उन्होंने कहा कि अधिक नहीं तो पहली बार 10 परिवारों को इस परंपरा में जरूर शामिल किया जाएगा।
अपनी गोशाला के दूध से स्नान करेंगे कन्हैया
जासं, मथुरा: कान्हा के लिए किस बात की कमी। मगर, जन्मदिन पर कन्हैया अपनी गोशाला की गायों के दूध से ही स्नान करेंगे। जन्मभूमि पर भोजनालय के पास ही गोशाला बनी है। इसी गोशाला में वर्ष भर गायों की देखभाल होती है। इन गायों के दूध से ही कान्हा के लिए भोग बनता है। जन्माष्टमी पर इन्हीं गायों के 101 लीटर यानी तकरीबन ढाई मन दूध से कान्हा का दुग्धाभिषेक किया जाएगा। श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि जन्माष्टमी के लिए करीब 440 किलो दूध की जरूरत होगी। मगर, कान्हा का दुग्धाभिषेक जन्मस्थान में पलने वाली गायों के दूध से ही होगा।