रंग बिरंगी रोशनी में गुनगुनाएगा पोतरा कुंड
श्रीकृष्ण भगवान की शैशवास्था में जिस कुंड में उनके वस्त्र धोए गए थे अब वह कुंड रात को रंग बिरंगी रोशनी में गुनगुनाने के लिए जा रहा है। लंबे अरसे बाद इसकी सूरत बदलने का काम शुरू हो गया है। करीब पांच करोड़ रुपये की लागत से हृदय योजना में कुंड का सुंदरीकरण कराया जा रहा है। तली में भरा रहने वाला गंदे पानी को निकाल कर इसमें साफ सुथरा पानी भरा जाएगा। लाइट एंड साउंड और फाउंटेन लगाने के साथ ही साथ डायनमिक लाइटिग किए जाने काम शुरू हो गया है।
मथुरा: श्रीकृष्ण भगवान की शैशवास्था में जिस कुंड में उनके वस्त्र धोए गए थे, अब वह पोतरा कुंड रात को रंग बिरंगी रोशनी में गुनगुनाने जा रहा है। लंबे अरसे बाद इसकी सूरत बदलने का काम शुरू हो गया है। करीब पांच करोड़ रुपये की लागत से हृदय योजना में कुंड का सुंदरीकरण कराया जा रहा है। तली में भरा रहने वाला गंदे पानी को निकाल कर इसमें साफ सुथरा पानी भरा जाएगा। लाइट एंड साउंड और फाउंटेन लगाने के साथ ही साथ डायनमिक लाइटिग किए जाने काम शुरू हो गया है। नौका विहार का भी इंतजाम किया जा रहा है। रंगाई पुताई का काम पहले ही पूरा करा दिया गया है। फेसिग भी चारों तरफ करा दी गई है। श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर दर्शन करने के लिए आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए कुंड आकर्षण का केंद्र बन जाएगा। --पोतराकुंड का सुंदरीकरण का कार्य इस तरह से कराया जा रहा है कि यह श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर दर्शन करने के लिए आ रहे श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बने। सुंदरीकरण का कार्य शुरू करा दिया जाएगा और जल्द ही पूरा हो जाएगा।
समीर वर्मा, नगर आयुक्त --कुंड का इतिहास: श्रीकृष्ण जन्मस्थान के समीप विशाल पोतरा कुंड का धार्मिक महत्व है। शिशु श्रीकृष्ण के वस्त्र इसी कुंड में धोए गए थे। इसलिए इस कुंड का नाम पोतरा कुंड पड़ा। जो यमुना से करीब तीन किलोमीटर दूर है। पहले यह कच्चा तालाब था, लेकिन 1839 में इस कुंड को सिधिया राजघराने ने पक्का बनवाया था। जो कभी भूमिगत स्त्रोतों से ही लबालब रहता था, पर अब ये स्त्रोत सूख गए। पुरातत्व विभाग इसका संरक्षण कर रहा है। इसमें बड़ी-बड़ी सीढि़या, बैठने के लिए कोठरियां बनी हुई हैं।