श्रद्धालुओं की आत्माओं को कचोटता है कालिंदी का कलुषित जल
यमुना छठ पर एकबार फिर प्रदूषण मुक्ति का लिया जाएगा संकल्प
वृंदावन, जासं। कालिदी का कलुषित जल न केवल श्रद्धालुओं की आत्माओं को कचोटता है। बल्कि जिस इलाके में उसके जल की सिचाई से घनी पैदावार होती थी। वहां आज खेती करने तक के लाले पड़ रहे हैं। करीब एक दशक से कालिदी के कलुष को मिटाने को शुरू हुए आंदोलन में सरकार हो अथवा विपक्ष हर राजनीतिक दल ने छलावा ही किया है। आज भी कालिदी अपने दर्द को लिए भक्तों का उद्धार कर रही है। यमुना भक्त यमुना छठ के दिन ही प्रदूषण मुक्ति का संकल्प लेकर फिर इसे भूल जाते हैं।
वृंदावन को तीन ओर से अपने आगोश में लिए कालिदी कभी कल-कल बहती थी और श्रद्धालु इसमें स्नान व पूजन कर जीवन धन्य करते रहे। करीब तीन दशक से यमुना में प्रदूषण बढ़ने की शुरूआत हुई। ये शुरूआत हरियाणा के हथिनीकुंड में यमुना जल को रोके जाने और दिल्ली से लेकर मथुरा तक खुले शहरों के नाले, जिसमें न केवल शहर की गंदगी बल्कि कारखानों का जहरीला पदार्थ भी बहना शुरू हुआ। करीब एक दशक पहले तक यमुना का जल आचमन लेने लायक न रहा और आज हालात ये कि यमुना के जल को देखना तक मुश्किल होता है। काले हो चुके यमुना के जल में पैर रखते ही अंदर कीचड़ निकलने लगती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद दिल्ली से लेकर मथुरा तक गिर रहे खुले नालों को टेप करने की जहमत शासन ने नहीं उठाई। यमुना किनारे पसरी गंदगी तक को साफ करने की जरूरत शासन और प्रशासन नहीं उठा पा रहा। यमुना किनारे गंदगी के चलते श्रद्धालु यमुना पूजन तक करने से कतराने लगे हैं। यमुना छठ पर ये होंगे आयोजन:
पुण्यतीर्थ केशीघाट स्थित यमुना महारानी मंदिर पर यमुना छठ का आयोजन 11 अप्रैल को होगा। सुबह 8 बजे यमुनाजी के श्रीविग्रह का महाभिषेक। 9 बजे ब्रजवासियों द्वारा सामूहिक यमुना पूजन व चुनरी मनोरथ, शाम 4 बजे फूलबंगला, छप्पनभोग दर्शन व 5 बजे महाआरती के साथ यमुनाजी की शोभायात्रा निकलेगी।