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मथुरा में दारोगा ने अपने कंधे पर उठाकर स्टेशन पर तड़पती प्रसूता को कराया भर्ती

मथुरा कैंट रेलवे रेलवे स्टेशन पर कल जिसने भी खाकी का मानवीय चेहरा देखा, सराहना करता नजर आया। यहां प्रसव पीड़ा से तड़पती महिला को देख जीआरपी हाथरस सिटी थाना प्रभारी के कदम ठहर गए।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 15 Sep 2018 02:39 PM (IST)Updated: Sat, 15 Sep 2018 05:49 PM (IST)
मथुरा में दारोगा ने अपने कंधे पर उठाकर स्टेशन पर तड़पती प्रसूता को कराया भर्ती
मथुरा में दारोगा ने अपने कंधे पर उठाकर स्टेशन पर तड़पती प्रसूता को कराया भर्ती

मथुरा (जेएनएन)। खाकी को बदनाम करने वालों के बीच कुछ ऐसे पुलिसकर्मी भी हैं, जो इसका नाम रोशन करने में आगे हैं। ऐसे ही हैं मथुरा में जीआरपी सिटी प्रभारी के पद पर तैनात दारोगा सोनू कुमार।

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मथुरा कैंट रेलवे रेलवे स्टेशन पर कल जिसने भी खाकी का मानवीय चेहरा देखा, सराहना करता नजर आया। यहां प्रसव पीड़ा से तड़पती महिला को देख जीआरपी हाथरस सिटी थाना प्रभारी के कदम ठहर गए। उन्होंने उसे जिला महिला अस्पताल ले जाकर भर्ती कराया। हाथरस सिटी जीआरपी थानाध्यक्ष सोनू कुमार कल पैसेंजर ट्रेन से छावनी स्टेशन पर उतरे थे। उनकी यहां अदालत में पेशी थी।

यहां प्लेटफार्म पर उन्होंने भावना पत्नी छत्रपाल निवासी दयालपुर को प्रसव पीड़ा से तड़पते देखा। वह पति के साथ बल्लभगढ़ जा रही थी। थानाध्यक्ष ने एंबुलेंस को फोन किया, लेकिन उसके आने देरी हो रही थी। इसके बाद वह ई-रिक्शा से प्रसूता को लेकर जिला महिला जिला महिला अस्पताल पहुंचे। वहां महिला ने लड़के को जन्म दिया। 

महिला का नाम भावना है और वह फरीदाबाद की रहने वाली हैं। शुक्रवार को अपने पति महेश के साथ वह हाथरस से फरीदाबाद जा रही थीं कि तभी उन्हें अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। महेश ने बताया कि हम मथुरा कैंट स्टेशन उतरे। हम वहां नए थे, हमने कई लोगों से मदद मांगी मगर कोई नहीं रुका। तभी सोनू जी हमारे पास आए। उन्होंने पहले ऐंबुलेंस को कॉल की मगर वह नहीं आई। उन्होंने एक ऑटो रिक्शे का इंतजाम किया और उससे हम अस्पताल पहुंचे। मगर डॉक्टर्स ने कहा कि उन्हें महिला अस्पताल ले जाना होगा जो करीब 100 मीटर दूर था।

एसओ सोनू ने जरा भी समय नहीं गंवाया और तुरंत महिला को कंधे पर उठाकर महिला अस्पताल की ओर चल पड़े। जहां भावना ने बेटे को जन्म दिया। महेश ने कहा कि इस मदद के लिए हम उनका शुक्रिया नहीं अदा कर सकते। आज मेरी पत्नी और बच्चे ठीक हैं तो यह उनकी वजह से ही संभव हुआ है। हम उन्हें ठीक से धन्यवाद भी नहीं बोल पाए। वह भावना को महिला अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में छोड़कर तुरंत वहां से निकल गए।

एसओ सोनू राजौरा ने कहा कि यह मेरी ड्यूटी थी कि मैं जरूरतमंद की मदद करूं। मैंने 108 और 102 पर कॉल कर ऐंबुलेंस बुलानी चाही, मगर वहां कोई ऐंबुलेंस नहीं उपलब्ध थी। वे लोग मथुरा में नए थे और उन्हें वहां के बारे में कुछ नहीं पता था। 


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