प्लास्टिक के पाउच में पानी, हवा में कार्रवाई
प्रतिबंध के बावजूद धड़ल्ले से बिक रहे हैं पानी के पाउच 40 से 50 हजार पाउच का रोज उत्पादन
मथुरा, जासं। कान्हा की नगरी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में पॉलीथिन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया था। लेकिन इसी शहर के अफसरों ने उनके आह्वान को नजरअंदाज कर दिया। पाउच में पानी बिक रहा है और अफसर कार्रवाई के नाम पर कागजी कोरम पूरा कर रहे हैं। ये हाल तब हैं, जब रोज बिक रहे चालीस से पचास हजार पाउच मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं।
प्रदूषण फैलाने में अहम भूमिका निभाने वाले पानी के पाउच पर प्रतिबंध लग गया है। खुद नगर निगम के अधिकारी इस बात पर मुहर लगा रहे हैं। लेकिन जो चल रहा था, वैसा ही अब भी चल रहा है। पानी के पाउच की बिक्री सबसे ज्यादा हो रही है, लेकिन उस पर अब तक रोक नहीं लग सकी। बस स्टॉप, ठेल-ढकेल, कोल्डड्रिक सेंटर पर खपत हो रही है। पीने के पानी की घरों और दुकानों में आपूर्ति करने वाले जिले में कई अवैध प्लांट हैं। लेकिन खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के आंकड़े कहते हैं कि पानी के पाउच और बोतल बंद पानी बेचने के लिए केवल 14 प्लांट ही पंजीकृत हैं। ये शहर के विभिन्न क्षेत्रों में हैं। इनसे औसतन 40 से 50 हजार पानी के पाउच का उत्पादन और बिक्री हो रही है। चार गुना कमाई: पानी के पाउच बेचने वालों को एक पाउच से चार गुना कमाई होती है। व्यापारियों के अनुसार लगभग 100 पाउचों की थैली मैन्यूफैक्चरर से मिलती है। जिसमें एक पाउच करीब 50 पैसे का होता है। लेकिन फुटकर में पाउच डेढ़ से दो रुपये का बिकता है। यहां सबसे ज्यादा खपत: सार्वजनिक पेयजल इंतजामों की कमी के कारण ठेलों सहित चाय की दुकान, कोल्डड्रिक सेंटर के अलावा बस स्टॉप पर सबसे ज्यादा पाउच की खपत होती है। बस जहां रुकती है, वहीं हॉकर पानी बेचने आ जाते हैं। नए रजिस्ट्रेशन नहीं: खाद्य एवं औषधि विभाग के अभिहित अधिकारी चंदन पांडेय का कहना है कि जिले में ऐसी करीब 14 यूनिट्स हैं। जिसमें एक अनरजिस्टर्ड यूनिट पर बीते दिनों सील की कार्रवाई की जा चुकी है। सिगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध की दिशा में पानी पाउच की नई यूनिट के रजिस्ट्रेशन नहीं किए जा रहे हैं और पुरानी इकाई संचालकों को भी सरेंडर करने के नोटिस जारी किए जा रहे हैं। दो के बाद से कड़ी कार्रवाई: सहायक नगरायुक्त अजीत कुमार का कहना है कि पानी के पाउच पर प्रतिबंध लग चुका है। गांधी जयंती पर प्रधानमंत्री भी अधिकृत रूप से घोषणा करेंगे। इस दिन के बाद कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। कारण इकाई संचालकों के पास सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के इंतजाम नहीं है। इनका मकसद केवल मैन्यूफैक्चरिग कर बाजार में खपत करने का होता है, जबकि प्रयोग किए गए पाउचों को दोबारा प्रॉसेस किया जाए। इसको लेकर बीते दिनों 11 यूनिट्स को नोटिस भी जारी किए गए थे। हाईलाइटर:
-रोजाना औसतन 50 हजार पाउच की आपूर्ति
-14 वैध व दर्जनों अवैध यूनिट संचालित
-नहीं दिए जा रहे नए रजिस्ट्रेशन
-बस स्टॉप, कोल्डड्रिक सेंटर पर अधिक खपत