पहले दिन ही नजर आने लगे हाथों में थैले
मथुरा: घटिया स्तर की प्लास्टिक के रविवार से उल्टे दिन शुरू हो गए हैं। पह
जागरण संवाददाता, मथुरा: घटिया स्तर की प्लास्टिक के रविवार से उल्टे दिन शुरू हो गए हैं। पहले दिन ही लोगों के हाथों में थैले नजर आने लगे। चरणबद्ध तरीके से गांधी जयंती तक इसे पूरी तरह बैन करने की योजना है।
जनमानस को भी यह समझ में आने लगा है कि प्लास्टिक स्वयं के लिए ही नहीं, पकड़े जाने पर जुर्माना लगा तो जेब के लिए भी नुकसानदायक है। हालांकि तीर्थनगरी को पूर्णत: प्लास्टिक मुक्त होने में समय लगेगा पर शुरूआत तो हो चुकी है।
पहले लोग घर से बाजार सब्जी, फल, राशन आदि का सामान लेने निकलते थे तो हाथों में कपडे़ के थैले हुए करते थे। धीरे-धीरे प्लास्टिक कैरीबैग का जमाना आया और लोगों के हाथों से ये थैले गायब होते चले गए। प्लास्टिक का प्रयोग इस कदर बढ़ा कि इसने जनजीवन को प्रभावित कर दिया। समारोहों में प्लास्टिक के दोने, कप, प्लेट, गिलास का प्रयोग बढ़ने लगा। इधर, चाय की दुकानों से कांच के गिलास गायब हो गए। हलवाइयों की दुकानों पर दही और दूध के लिए कुल्हड़ की जगह प्लास्टिक से बने सामानों ने ले लिया। प्लास्टिक का चलन बढ़ा तो बीमारियों में भी इजाफा हो गया।
अब पुराने प्लास्टिक रहित दिन लौटने की शुरूआत हो चुकी है। 15 जुलाई से प्लास्टिक पर बैन लग चुका है। प्रथम चरण में 50 माइक्रोन से कम की थैलियां प्रतिबंधित रहेंगी। इन्हें जब्त करने के साथ बेचने, खरीदने और उपयोग करने वालों पर एक लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है। इस कारण ही पहले दिन लोगों के हाथों में थैले नजर आने लगे हैं। चौक बाजार, विकास बाजार, डीग गेट आदि स्थानों पर लगने वाली सब्जी मंडी में महिलाएं और पुरुषों के हाथों में कपड़े के थैले नजर आए।
नगर निगम ने बदली रणनीति:
नगर निगम ने रविवार से प्लास्टिक बैन को व्यापक अभियान शुरू कर दिया है। संयुक्त नगर आयुक्त अजीत कुमार ¨सह ने बताया कि अब तक टीम बनाकर दुकान, ठेल व ढकेल वालों के यहां से प्लास्टिक थैलियां जब्त की जा रही थीं। इसे और ज्यादा व्यापक बनाने के लिए प्रत्येक सफाई नायक को अपने-अपने क्षेत्र में जागरूकता अभियान चलाने और पॉलीथिन जब्त करने के आदेश दिए गए हैं। प्लास्टिक की थैलियां जहां बनती हैं उन फैक्ट्रियों को सील कर देना चाहिए। वहीं से जब बाजार में माल आना बंद हो जाएगा तो इनका चलन स्वत: ही समाप्त हो जाएगा।
काजल चौहान, गृहणी
सबसे ज्यादा प्लास्टिक की थैलियां ढकेल और हलवाई की दुकानों पर मिलती हैं। ऐसी जगहों पर सघन छापेमारी की जरूरत है। तभी इस पर पूरी तरह रोक लग पाएगी।
निखिल प्रताप, व्यापारी