Holi 2020: ब्रज के होली महोत्सव में जमकर उड़ा गुलाल, राधा कृष्ण की भक्ति में डूबे भक्त
राधा भई श्याम श्याम श्यामा रंग डूब गए... की गूंज से के साथ बांकेबिहारी मंदिर में होली का आनंद लेने को देश ही नहीं विदेश से भी हजारों श्रद्धालुओं ने वृंदावन में डेरा डाल रखा है।
मथुरा, जेएनएन। भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा में होली के उल्लास अलग ही रंग में होता है। यहां पर रंगों के त्यौहार के करीब एक हफ्ते पहले से ही लोग विशिष्ट रंग में होते हैं।
इसमें भी जब मोर मुकुट, कटि काछिनी, श्वेत वस्त्रों पर सुनहरा श्रृंगार और चांदी के सिंहासन पर बैठ हाथ में चांदी की पिचकारी और कमर पर गुलाल का फैंटा बांध जब आराध्य बांकेबिहारी दर्शन देते हैं तो भक्तों को आनंद का ठिकाना नहीं रहता है। यहां हुरियारे बने बांकेबिहारी की पिचकारी से जब टेसू के रंगों की बौछार होने लगी तो आस्था और उमंग हिलोरें मारने लगीं। होरी के आनंद में मदमस्त श्रद्धालुओं का अल्हड़पन व पिचकारी से छूटते रंग, उड़ता गुलाल और भीड़ को चीरकर आगे बढऩे की जद्दोजहद। बांकेबिहारी मंदिर मेंं श्रद्धा का आनंद सुबह से ही बरस रहा है।
राधा भई श्याम, श्याम श्यामा रंग डूब गए... की गूंज से के साथ बांकेबिहारी मंदिर में शुरू हुई रंगों की होली का आनंद लेने को देश ही नहीं विदेश से भी हजारों श्रद्धालुओं ने वृंदावन में डेरा डाल रखा है। सुबह मंदिर के पट खुुलने से पहले ही भक्तों का हुजूम मंदिर के बाहर पहुंच गया। जब ठा. बांकेबिहारी ने दर्शन दिए तो निहाल हो गए उनके भक्त। मंदिर में उल्लास ऐसा छाया कि क्या बूढे और क्या जवान हर कोई होली के अद्भुत रंग में रंगा नजर आया। ठाकुरजी की पिचकारी से निकला रंग ऐसा कि टोलियों में मंदिर पहुंचे श्रद्धालु भी आपस में एक-दूसरे को नहीं पहचान पा रहे थे।
रंगभरनी एकादशी पर तीन दिन पहले सुबह झमाझम बारिश के बावजूद भक्तों के कदम नहीं थमे। परिक्रमा करने को देश के अलग अलग शहरों से आए श्रद्धालुओं का हुजूम उमडऩे लगा। बारिश के समय भले ही श्रद्धालुओं की संख्या कम थी। लेकिन बारिश थमी और धूप निकली तो परिक्रमा में भक्तों का हुजूम बढ़ता नजर आ रहा है।
यह है मान्यता
वृंदावन में माना जाता है कि प्रिया (राधारानी) प्रियतम (भगवान श्रीकृष्ण) ने प्रेम भरी लीलाएं की थीं। उन्हीं लीलाओं में से एक लीला है होली। यहां पर लोग रंगभरनी एकादशी से प्रिया-प्रियतम होली की लीलाओं में मग्न हो जाते हैं। प्रेम के जिस रस में डूबे रहते हैं, भक्तगण उसी प्रेम रस का पान करते हैं। इस दिन ठाकुर बांके बिहारी जी महाराज गर्भगृह से निकलकर बाहर आ जाते हैं और लगातार पांच दिन तक बाहर ही रहकर रसिकों के साथ होली खेलते हैं। इस दिनों भक्तों को ठाकुर बांकेबिहारी जी का अद्भुत शृंगार देखने को मिलता है। बिहारी जी पांच दिन तक लगातार मलमल की सफेद पोशाक धारण करते हैं। कमर गुलाल फैंटा है तो हाथ में फूलन की छड़ी है।
पूरे देश में होली की धूम है। होली महोत्सव 10 मार्च को मनाया जाएगा। होली के रंग में सब डूब गए हैं. मथुरा की होली का महत्व ही कुछ और है। भगवान कृष्ण की नगरी में काफी धूमधाम से होली मनाई जाती है। यहां बरसाने और नंदगांव में लठमार होली धूमधाम से खेली गई। इसके लिए नंदगांव से सखा बरसाने आए और बरसाने की गोपियों ने उन पर लाठियां बरसाई।
लठमार होली के बाद अब रंगभरनी एकादशी पर वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में फूलों से होली खेली गई। हुरियारे यानी होली खेलने वालों की टोली यशोदा कुंड पहुंची। फिर सिर पर पगड़ी बांधकर मैदान में उतरे, लेकिन हुरियारिनों ने उन पर लाठियां बरसा दीं। लाठियों का सामना करने के बाद होली खेलने वालों की टोली नंदभवन पहुंची। टोली के लोगों ने हुरियारिनों के पैर छूकर हंसी ठिठोली के लिए क्षमा मांगी।