अति आत्मविश्वास में घर बैठे हैं राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता
भाजपा मोदी मैजिक के सहारे तो महा गठबंधन को अपनी ताकत पर गुमान मतदाताओं तक नहीं पहुंच पा रहा चुनावी एजेंडा
मथुरा, जासं। बढ़ते तापमान के बीच राजनीतिक दलों का अति आत्मविश्वास भारी पड़ सकता है। एक खेमा मोदी मैजिक के सहारे है तो विरोधी शिविर महा गठबंधन की ताकत का गुणा-भाग लगाते हुए अति आत्मविश्वास का शिकार हो रहा है। फलस्वरूप हर दल के कार्यकर्ता आंकड़ों में व्यस्त हैं और क्षेत्र में जाने से गुरेज कर रहे हैं। इससे राजनीतिक दलों का चुनावी एजेंडा मतदाताओं तक नहीं पहुंच पा रहा।
कई राजनीतिक दल कार्यकर्ताओं की ताकत से लैस हैं, पर चुनावी सीजन में यह अति आत्मविश्वास के कारण जाया हो रही है। चुनाव प्रचार में एक ट्रेंड यह देखने में आ रहा है कि प्रत्याशी जिस क्षेत्र में जा रहा है, वहां के उसके अपने लोग और कुछ कार्यकर्ता ही कमान संभाल रहे हैं, जबकि शेष सभी क्षेत्रों के कार्यकर्ता आंकड़ों में ही व्यस्त हैं।
मतदाताओं तक अपने दल का चुनावी एजेंडा पहुंचाने का काम किसी दल की ओर से नहीं किया जा रहा। प्रबुद्ध लोगों का कहना है कि मतदाता के पास वास्तविक सूचनाओं का अभाव है। ऐसे में मतदाता अपनी समझ से ही अपना मन बनाने को मजबूर है। भाजपा के पास सेक्टर व मंडलों से लेकर बूथों तक कार्यकर्ताओं की लंबी फौज है, पर उसके चुनाव प्रबंधन ने सभी से अभी तक संपर्क तक नहीं किया है। इस वजह से तमाम कार्यकर्ता अभी अपने घर ही बैठे हैं।
महा गठबंधन में शामिल सपा कार्यकर्ताओं को अभी तक ठीक से जिम्मेदारी तक नहीं दी गयी है, जबकि रालोद में किसी तरह के कैडर का नितांत अभाव है। केवल बसपा का संगठन ही अपने सेक्टर और मंडलों में व्यस्त है, लेकिन उसकी अपनी सीमाएं हैं। कांग्रेस मतदाताओं से संपर्क करने में बहुत पिछड़ी हुई है। पार्टी का घोषणा पत्र आ गया है, लेकिन इसके सहारे मतदाता का मन बनाने तक की कोशिश नहीं की जा रही। यहां गुटबाजी के कारण भी चुनाव प्रचार फीका चल रहा है।