पराली जलाएंगे नहीं, अब खाद बनाएंगे
फसल कटाई के बाद अभी किसान धान और गेहूं की पारली को खेतों में आग नहीं लगाएंगे। अब वे इसको खाद में तब्दील करके मृदा की उर्वराशक्ति में वृद्धि करेंगे। इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र ने खानपुर गांव में 25 मास्टर ट्रेनर तैयार किए हैं। जो दूसरे किसानों को पाराली से मृदा और पर्यावरण को पहुंच रहे नुकसान से अवगत कराएंगे।
जागरण संवाददाता, मथुरा : फसल कटाई के बाद किसान अब पराली को खेतों में आग नहीं जलाएंगे। इसे खाद में तब्दील कर मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ाएंगे। इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र ने खानपुर गांव में 25 मास्टर ट्रेनर तैयार किए हैं।
कोसीकलां, छाता, गोवर्धन और नौहझील क्षेत्र में किसान धान की कटाई कर उसके पुआल को खेतों में ही जलाते रहे हैं। एनसीआर के आसपास जलाई जा रही पुआल (पराली) के धुआं से दिल्ली में धुंध छा रही है। इसके अलावा मित्रकीट मर रहे हैं और भूमि गरम हो रही है। आर्गेनिक कार्बन के खत्म होने से उत्पादन में गिरावट आ रही है। केंद्र सरकार ने पराली को खाद में तब्दील कर भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए मथुरा, आगरा, अलीगढ़, एटा, फीरोजबाद के अलावा मेरठ और मुरादाबाद मंडल में मास्टर ट्रेनर तैयार किए गए हैं।
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--प्रति हेक्टेयर ये मिलेंगे तत्व:
-533 किग्रा नाइट्रोजन
--13.50 किग्रा फास्फोरस
--150 किग्रा पोटाश
--7.50 किग्रा सल्फर
--2400 किग्रा जैविक कार्बन
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-तैयार मास्टर ट्रेनर गांव-गांव किसानों को जागरुक करेंगे। पचास किसानों के खेतों पर केवीके अपने खर्चें पर पराली को खाद बनाने का प्रदर्शन करेगा। पराली से खाद बनाने के लिए किसानों को मशीन उपलब्ध कराई जाएंगी।
-संतोष कुमार मिश्रा, अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक केवीके। --पराली को जलाने की बजाय वैज्ञानिक तरीके से खेतों में निस्तारण करना चाहिए। इसके लिए केंद्र और प्रदेश सरकार ने फसल अवशेषों के मशीनों से प्रबंधन कार्यक्रम की शुरूआत की है।
का¨रदा ¨सह, भाजपा विधायक -- हजारों टन भूसा, पराली खेतों में रह जाता है। इसको किसान जला देते हैं। इससे दोहरा नुकसान हो रहा है। एक चारे की कमी हो रही है और दूसरा पर्यावरण दूषित हो रहा है।
डॉ. प्रो केएमएल पाठक, वीसी, वेटेरिनरी यूनिवर्सिटी