बॉर्डर पर घटी मजदूरों की संख्या, बसों से भेजे गए
संवाद सूत्र मथुरा कोसीकलां में हरियाणा से कोटवन बॉर्डर पर पहुंचने वाले मजदूरों की संख्या में कमी आ गई है। सोमवार को दिन भर में यहां करीब 2200 श्रमिक ही आए। इनमें से 1200 को बसों से उनके गंतव्य के लिए भेज दिया गया और शेष मजदूर देर रात को श्रमिक स्पेशल ट्रेन से रवाना किए गए। णा से कोटवन बॉर्डर पर पहुंचने वाले मजदूरों की संख्या में कमी आ गई है। सोमवार को दिन भर में यहां करीब 2200 श्रमिक ही आए। इनमें से 1200 को बसों से उनके गंतव्य के लिए भेज दिया गया और शेष मजदूर देर रात को श्रमिक स्पेशल ट्रेन से रवाना किए गए।
संवाद सूत्र, मथुरा : कोसीकलां में हरियाणा से कोटवन बॉर्डर पर पहुंचने वाले मजदूरों की संख्या में कमी आ गई है। सोमवार को दिन भर में यहां करीब 2200 श्रमिक ही आए। इनमें से 1200 को बसों से उनके गंतव्य के लिए भेज दिया गया और शेष मजदूर देर रात को श्रमिक स्पेशल ट्रेन से रवाना किए गए। उत्तर प्रदेश और हरियाणा के बॉर्डर पर पिछले कई दिनों से मजदूरों भी भीड़ उमड़ रही थी। हजारों मजदूर अपने घरों के लिए पैदल ही जा रहे थे। औरैया हादसे के बाद मुख्यमंत्री ने प्रशासन से दो टूक कह दिया था कि बॉर्डर से कोई भी मजदूर पैदल यात्रा नहीं करे और उनको बसों से भेजा जाए। इसके बाद प्रशासन ने कोटवन बॉर्डर पर मजदूरों को सुरक्षित उनके घर भेजने के इंतजाम की गति को तेज कर दी थी। इसका परिणाम रहा कि सोमवार को कोटवन बार्डर से लेकर आगरा के रैपुराजाट बॉर्डर तक पैदल चलते मजदूर नजर नहीं आए। बॉर्डर पर सुबह से शाम तक 2200 मजदूर पहुंचे थे। इन सभी को बॉर्डर से बसों से मंडी समिति परिसर लाया गया और यहां से 1200 मजदूरों को बसों से उनके गंतव्य के लिए रवाना कर दिया गया। डीएम सर्वज्ञराम मिश्र ने मजदूरों के लिए एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन की भी रेलवे प्रशासन से संपर्क करके व्यवस्था कराई। करीब एक हजार मजदूरों को कोसीकलां रेलवे स्टेशन पर भेजा गया। यहां शारीरिक दूरी का पालन कराते हुए श्रमिक स्पेशल ट्रेन से रात करीब नौ बजे उनको गंतव्य के लिए रवाना कर दिया गया। डीएम ने बताया कि बॉर्डर पर हरियाणा की तरफ से आने वाले मजदूरों की संख्या में कमी आ गई है। हालात सामान्य हैं और सभी मजदूरों को बसों और ट्रेनों से रवाना किया जा रहा है। दोपहर में डीएम ने मंडी परिसर जाकर मजदूरों को भेजने की व्यवस्थाओं का जायजा लिया। यहां पर तैनात अधिकारियों से कहा कि किसी भी मजदूर को कोई भी तकलीफ नहीं होनी चाहिए। समाज सेवी आए आगे :
मजदूरों को खानपान की व्यवस्था कराने के लिए स्थानीय समाजसेवी भी आगे आ गए। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और स्वयंसेवी संस्थान के तरुण सेठ, कमल किशोर वाष्र्णेय, श्रीहरि मानव सेवा संस्थान के राज कुमार सैनी, ललित कुमार ने मजदूरों के खानपान की व्यवस्था कराई।