कला नहीं सांझी में जुड़ा है उपासना तत्व: विभुकृष्ण
सांझीकला के विस्तार को लेकर वृंदावन शोध संस्थान में परिचर्चा
संस, वृंदावन: ब्रज की प्राचीन सांझी कला को लेकर वृंदावन शोध संस्थान में परिचर्चा का आयोजन हुआ। परिचर्चा में सांझीकारों व सांझी कलाप्रेमियों ने इस कला के विस्तार और आने वाली पीढ़ी के समक्ष रखने की योजना पर मंथन हुआ।
वृंदावन शोध संस्थान के सभागार में गुरुवार को आयोजित परिचर्चा में सांझी कला के प्रसिद्ध भट्ट घराने के आचार्य विभुकृष्ण भट्ट ने कहा सांझी मात्र कला का प्रदर्शन नहीं बल्कि इससे जुड़ा उपासना तत्व व्यापक है। कहा, कला पक्ष की दृष्टि से देखें तो उत्कृष्ट सांझी के सृजन में खाके (स्टैंसिल), रंग संयोजन, वेदी आदि का महत्वपूर्ण स्थान है। सांझी कलाविदों द्वारा अथक परिश्रम से इस परंपरा को मंदिरों में संरक्षित रखा है। आचार्य सुकृतलाल गोस्वामी ने कहा राधाबल्लभ संप्रदाय में सांझी रसोपासना से जुड़ी है। संस्थान निदेशक डा. अजय कुमार पांडेय ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र द्वारा सांझी कला को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गौरव प्रदान किया जाना, हर्ष का विषय है। कहा, संस्थान द्वारा सांझी कला को नई पीढ़ी से जोड़ने की दिशा में व्याख्यान, संगोष्ठी, कार्यशाला तथा प्रदर्शनी का आयोजन समय-समय पर किया जाता है। डा. ब्रजभूषण चतुर्वेदी, डा. राजेश शर्मा ने कहा संस्थान द्वारा विगत पांच दशकों की शोध यात्रा में सांझी से जुड़े महत्वपूर्ण कार्य किए गए हैं। यहां हस्तलिखित ग्रंथागार में सांझी परंपरा से जुड़ी पांडुलिपियां प्रचुरता से सुलभ हैं। संस्थान के प्रकल्प ब्रज संस्कृति संग्रहालय की वीथिका में सांझी कला का प्रदर्शन भी श्रद्धालु पर्यटक व संस्कृति प्रेमी के लिए कराया गया है। सुकुमार गोस्वामी, आरपी सिंह, रजत शुक्ला, ममता कुमारी, श्रीकृष्ण गौतम, उमाशंकर पुरोहित, ब्रजेश कुमार, राजकुमार शुक्ला, महेंद्र सिंह मौजूद रहे।