जलनिकासी की नहीं व्यवस्था, मार्ग भी बदहाल
मूलभूत सुविधाओं से वंचित ललिता सखी का ऊंचागांव पांच साल में गांव के विकास पर खर्च हो गए 80 लाख
संवाद सूत्र, बरसाना : राधारानी की प्रिय सखी ललिता का गांव ऊंचागांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। गांव में नालियों का निर्माण न होने से जलनिकासी नहीं हो पा रही है। इसकी वजह से प्रमुख मार्गों पर भी पानी भरा रहता है। गांव के अंदर भी मार्गों पर कीचड़ रहती है। ये हाल तब है जब पांच वर्ष में यहां 80 लाख रुपये खर्च किए जाने का दावा किया जा रहा है। बावजूद इसके गांव की सूरत नहीं बदल सकी।
रविवार को दैनिक जागरण की टीम विकास खंड बरसाना की ग्राम पंचायत ऊंचागांव पहुंची। बरसाना से दो किमी की दूरी होने से यहां श्रद्धालु भी खूब आते हैं। यहां अटा-अटोर पर्वत पर ललिता सखी समेत दो मंदिर हैं। मंदिरों की भव्यता देखते ही बनती है। मंदिर तक पहुंचने वाला मार्ग बदहाल है। यहां पहुंचने के लिए कीचड़ में होकर निकलना पड़ता है। अधिकांश मार्ग कच्चे हैं। ऊंचागांव में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं के कई चिन्ह पर्वत पर मौजूद हैं। यहां जनप्रतिनिधियों की ओर से भी विकास कार्यों को लेकर अनदेखी की गई है। ग्राम प्रधान ने पांच वर्ष में 80 लाख रुपये खर्च किए हैं, लेकिन गांव के हालातों में कोई सुधार नहीं हुआ। ग्रामीणों का कहना है कि अब वह उसी को गांव की कमान सौंपेंगे, जो गांव की प्रमुख समस्याओं से निजात दिलाएगा। इसे लेकर गांव में काफी मंथन किया जा रहा है। - ग्राम पंचायत के विकास पर पांच साल में 80 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। गांव की कई सड़कों का पक्का निर्माण कराया गया है। हर घर में मीठा पानी पहुंचाया गया है। सफाईकर्मी के न आने से कभी कभी गंदगी एकत्रित हो जाती है।
चरन सिंह, निवर्तमान प्रधान
ऊंचागांव यूपी का बार्डर वाला गांव है। बावजूद इसके प्रशासन की ओर से गांव के विकास पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। वर्ष भर का बजट भी बहुत कम है। सिर्फ आधे ही गांव में विकास हो पाया है।
सुरेश, पूर्व प्रधान। - गांव में दो प्राचीन मंदिर हैं। भगवान श्रीकृष्ण की लीला स्थली भी रही है। यहां शासन - प्रशासन की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया है। गांव में सैकड़ों श्रद्धालु आते हैं। फिर भी गांव के मार्गों में कीचड़ है। जलनिकासी तक की कोई व्यवस्था नहीं है।
घनश्याम राज भट्ट, प्रवक्ता - ब्रजाचार्य पीठ ऊंचागांव। - गांव में गंदगी का आलम है। सफाईकर्मी आते तक नहीं है। जगह-जगह कीचड़ जमा है। मार्ग कच्चा होने की वजह से राहगीरों को निकलने में भी काफी परेशानी होती है।
ओमप्रकाश, ग्रामीण। - गांव में नालियां चोक हैं। नालियों का निर्माण न होने से मार्गों पर पानी भरा रहता है। कीचड़ की वजह से मच्छरों का प्रकोप बना है।
कप्तान, ग्रामीण। - आधे गांव में ही विकास कार्य कराए गए हैं। जहां स्कूल है, वहां तक जाने के लिए मार्ग खराब है। स्कूली बच्चों को पढ़ने के लिए जाने में काफी परेशानी होती है। पानी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है।
गणेश, ग्रामीण।
5500 ग्राम पंचायत की आबादी
2500 कुल मतदाता
1500 पुरुष वोटर
1000 महिला वोटर यह हैं प्रमुख समस्या
- जलनिकासी की नहीं कोई व्यवस्था।
- गांव के अधिकांश मार्ग बने हुए हैं कच्चे।
- कीचड़ होने की वजह से राहगीरों को निकलने में होती है परेशानी।
- मीठे पानी की भी है परेशानी।