Move to Jagran APP

गोकुल में आनंद भयो, जय हो नंदलाल की

श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर भगवान का जन्म होने के अगले दिन गोकुल में लाला के जन्म का हल्ला मच गया। नंदबाबा को सुबह से ही बधाई दी जा रही थी। आस्था का वैभव गोकुल में सिमट गया। श्रद्धा के ज्वार की थाह नहीं थी। गोकुल की गलियों में भक्ति की अविरल धारा बह निकली। नदंभवन और नंद चौक आस्था का सागर बन गए ।

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Aug 2019 11:56 PM (IST)Updated: Mon, 26 Aug 2019 06:32 AM (IST)
गोकुल में आनंद भयो, जय हो नंदलाल की
गोकुल में आनंद भयो, जय हो नंदलाल की

नवनीत शर्मा, मथुरा : श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर भगवान का जन्म होने के अगले दिन गोकुल में लाला के जन्म का हल्ला मच गया। नंदबाबा को सुबह से ही बधाई दी जा रही थी। आस्था का वैभव गोकुल में सिमट गया। श्रद्धा के ज्वार की थाह नहीं थी। गोकुल की गलियों में भक्ति की अविरल धारा बह निकली। नंदभवन और नंद चौक की सजावट नयनाभिराम की गई। 'नंद-यशोदा के द्वार बाज रही बधाई',' नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की' आदि भजनों पर श्रद्धालु झूमते रहे। नंदबाबा ने लाला के जन्म की खुशी में जमकर उपहार लुटाए। गोकुल मे मनाए गए नंदोत्सव में श्रद्धालु जमकर झूमे।

prime article banner

मैया यशोदा को सुबह लाला के जन्म का पता चलने पर सुबह से ही नंदबाबा के यहां आनंद छा गया। नंद भवन मंदिर में नंद परिवार के दर्शन कर भक्त हर्षित हो रहे थे। मंदिर में भक्तों का रेला सैलाब में बदल रहा था। नंदबाबा भी संतान पाने की खुशी में दिल खोलकर मेवे, फल आदि उपहार लुटा रहे थे। नंदभवन से कृष्ण, बलराम, नंदबाबा, मैया यशोद, गोपी-ग्वाल, नर-नारी आदि की शोभायात्रा बैंडबाजों के साथ निकलने पर श्रद्धालु भाव विभोर होकर झूमने लगे। शोभायात्रा में लाला की छीछी (हल्दी, दही का मिश्रण) लुटाई जा रही थी। छीछी की बूंदें जिस पर गिरती वह अपने को धन्य समझता। लाला को झूला झुलाने की होड़ मची रही। इस नजारे से गोकुल की आभा दिन में भी जगमग हो रही थी। शोभायात्रा के नंदचौक पहुंचने पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। श्रद्धालु भजनों पर सुधबुध खोकर झूमने लगे। उमस भी उनकी आस्था को डिगा नहीं सकी। नंदबाबा द्वारा लाला के आने की खुशी में मेवे, फल, लड्डू, कपड़े आदि उपहार के रुप में लुटाए जा रहे थे। जिसको भी यह उपहार मिल जाता वह अपने को धन्य समझता। इस प्रसाद का धार्मिक महत्व था कि जिसके घर में भी यह प्रसाद पहुंच जाता है, उसके घर में नंद जैसा आनंद होता है। दोपहर तक नंदबाबा उपहार लुटाते रहे और भक्त लूटते रहे। सुधबुध खोए श्रद्धालु बस यही गा रहे थे'जय कन्हैया लाल की'। द्वापर युग की लीला गोकुल में जीवंत हो उठी। इस दौरान मंदिर के पुजारी मथुरादास, मानी पुजारी, राममूर्ति, शिवकुमार, गिरधारी आदि मौजूद रहे। गोकुल जाने वाले मार्गों पर कन्हैया के जयघोष

मथुरा : सुबह से ही गोकुल जाने वाले मार्ग पर श्रद्धालुओं की कतारें थीं। श्रद्धालुओं के कदम नंदोत्सव में शामिल होने के लिए गोकुल की तरफ बढ़े जा रहे थे। हर मार्ग पर कन्हैया के जयघोष वातावरण में गूंज रहे थे। समाज सेवियों से भक्तों की सेवा करने के लिए जगह-जगह भंडारे लगाए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.