जब रोटी नहीं मिली तो बंदरों ने सीख लिया छीनकर खाना
साठ करोड़ रुपये का भेजा बंदर सफारी का प्रस्ताव बंदरों को रखने के लिए चुना अहिल्यागंज का जंगल
मथुरा, जासं। वृंदावन में वानर सेना को जब रोटी नहीं मिली तो उसने जीने के लिए छीन कर पेट भरना सीख लिया। बंदरों की हरकत से लोगों के सतर्क होने के साथ ही उनके लिए भोजन के लाले पड़ने लगे। यहां तक पीने लिए उनको पानी तक नहीं मिल पा रहा है। ऐसी ही रिपोर्ट शासन को वन विभाग ने भेजी है, इसमें बंदरों के मरने का कारण भूख और प्यास बताया गया है।
वृंदावन वासियों ने पहले अपने घर, दुकान और आश्रमों को जाली लगाकर सुरक्षित किया। जब जालियां नहीं लगी थी, तब वे घरों में घुस कर खाने पीने की सामग्री उठाकर ले जाते थे। इस पर रोक लग गई। इसके बाद बंदरों ने लोगों को सामान छीनना शुरू कर दिया। यहां तक आंखों से चश्मा उतार कर ले जाने लगे। जब उनको खाने के लिए दिया गया तो सामान भी सुरक्षित बंदरों ने लौटा दिया। नल, नाली और कुंड सरोवरों में पानी पीकर प्यास बुझाने वाले बंदरों को भीषण गर्मी में पीने के लिए पानी तक नहीं मिल पा रहा है। गर्मी की चपेट में आकर बंदरों की मौत हो रही है। मृत बंदरों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भूख प्यास के कारण दम घुटने से मौत का कारण बताया गया। ऐसी ही रिपोर्ट वन विभाग ने शासन को भेजी है। --साठ करोड़ का भेजा बंदर सफारी का प्रस्ताव: वन विभाग ने करीब साठ करोड़ रुपये को बंदर सफरी बनाने का प्रस्ताव भेजा है। धौरेरा अहिल्यागंज के जंगल में करीब चार हेक्टेयर भूमि पर बंदर सफारी बनाने का भी प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। डीएफओ अरविद कुमार ने बताया कि प्रस्ताव को अभी मंजूरी नहीं मिली है। मंजूरी मिलने के बाद ही कार्य शुरू हो पाएगा।