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अब नैनो यूरिया से लहलहाएगी फसल

यूरिया के एक बोरी जितना असर दिखाएगी 500 मिलीलीटर की एक बोतलजुलाई के पहले सप्ताह से किसानों को मिलने लगेगा सरकार पर भी कम होगा सब्सिडी का बोझ

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Jun 2021 06:16 AM (IST)Updated: Tue, 22 Jun 2021 06:16 AM (IST)
अब नैनो यूरिया से लहलहाएगी फसल
अब नैनो यूरिया से लहलहाएगी फसल

मनोज चौधरी, मथुरा: देश भर के किसानों की जुबां पर चर्चा का विषय बनी बोतल वाली नैनो यूरिया(तरल यूरिया) जुलाई के पहले सप्ताह से बाजार में किसानों को मिलने लगेगी। बोरी में दाने वाली यूरिया से ये नैनो यूरिया न केवल ज्यादा असरकारक है बल्कि सस्ती भी। इसको लेकर देश भर में नवंबर 2017 में 11 स्थानों पर ट्रायल शुरू किया गया। ये ट्रायल विभिन्न किस्म की 94 फसलों पर किया गया। इस ट्रायल में मथुरा जिले के गांव सेरसा, बेरी, अवैरनी, भूरेका और पानीगांव भी शामिल रहे।

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विशेष तरह की यूरिया बनाने वाली कंपनी है इंडियन फार्मर फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको)। वर्तमान में दाने के रूप वाली यूरिया की 50 किलोग्राम वजन की एक बोरी की कीमत 266.50 रुपये है। तरल यूरिया न केवल असरकारक बल्कि कीमत भी कम है। आधा लीटर यूरिया की बोतल के दाम 240 रुपये हैं। नैनो यूरिया जुलाई के पहले सप्ताह में सहकारी समितियां, कृषक सेवा केंद्र, यूपी एग्रो और इफको कंपनी के बिक्री केंद्रों पर मिलने लगेगी। यूरिया और डीएपी की तरह नैनो यूरिया खरीदने के लिए कोई सीमा निर्धारित नहीं है। राज्य में बुलंदशहर में भी इसे बिक्री के लिए भेजा गया है।

ये होगा फायदा: किसान जिस यूरिया का प्रयोग करते हैें,वह पानी में घुलकर भूमि के अंदर समा जाती है और कुछ हिस्सा वाष्प बनकर वायुमंडल में घुल जाती है। इससे भूमि और पर्यावरण दोनों को नुकसान होता है। नैनो तकनीक से तैयार की गई तरल यूरिया का प्रयोग इस नुकसान से बचाएगा। इसका प्रयोग किए जाने से रासायनिक उर्वरक की खपत में कमी आएगी। भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी। किसानों की सुनें

मैंने गेहूं, आलू, मटर, सरसों और धान की फसल पर नैनो यूरिया का इस्तेमाल किया है। पहले पांच मिलीलीटर नैनो यूरिया प्रति किलोग्राम के हिसाब से बीज का शोधन किया, उसके बाद आधा लीटर नैनो यूरिया का 20-20 दिन के अंतराल से फसल पर छिड़काव किया। कुछ फसलों पर सौ दिन बाद छिड़काव किया। इससे फसल की लागत में कमी आई। उत्पादन में 15 से 20 फीसद तक बढ़ोतरी हुई।

-सुधीर अग्रवाल, विकासशील किसान गांव भूरेका -ट्रायल के दौरान दो साल तक गेहूं की फसल पर नैनो यूरिया का प्रयोग किया। पहला स्प्रे 28 दिन बाद, दूसरा 45 दिन और तीसरा 60 दिन बाद किया था। इससे यह फायदा रहा कि सिचाई समय पर नहीं हो पाई तो तरल यूरिया का स्प्रे कर दिया। उत्पादन में भी बढ़ोतरी हुई।

-राजेंद्र सिंह, किसान, सेरसा नैनो यूरिया के प्रयोग से यूरिया की खपत में कमी आएगी। सरकार पर सब्सिडी का बोझ भी कम पड़ेगा। एक एकड़ फसल के लिए एक बोतल पर्याप्त है। किसान अपनी जरूरत के हिसाब से बोतल ले सकते हैं। यूरिया और डीएपी के बैग की तरह इसकी सीमा निर्धारित नहीं की गई है।

- सत्यवीर सिंह

क्षेत्रीय प्रबंधक, इफको, मथुरा


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