उनकी उजड़ गई दुनिया, इनका न बदला नजरिया
बुधवार को हुए एक्सीडेंट में मृत बेटों की लाश के लिए परिजन 22 घंटे तक पोस्टमार्टम गृह पर भूखे प्यासे खड़े रहे। लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा।
मनोज चौधरी, मथुरा: ब्रह्मांड घाट से गोकुल को आ रही सड़क का किनारा टूटने से मची चीत्कार मथुरा से लेकर कन्नौज तक सुनाई दे रही है। भंदपुरवा गांव के वीरेंद्र और श्रीराम अपने-अपने जिगर के टुकड़ों की लाश को पोस्टमार्टम हाउस के फर्श पर कफन उठा-उठा कर देख रहे थे। किसी हाथ तो किसी के पैर की हड्डी टूटने से सत्रह साथी अस्पताल के बिस्तर पर सिसक रहे हैं। इन तीर्थयात्रियों की दुनिया बदल गई, लेकिन नौकरशाहों का नजरिया नहीं बदल सका।
जिस स्थान पर बुधवार की दोपहर श्रद्धालुओं की ट्रॉली पलटी थी वहां गुरुवार को भी कुछ नहीं बदला। सड़क पर पहले से कोई गड्ढा नहीं था। सड़क के नीचे होकर खेतों के पानी की निकासी के लिए सीमेंट के पाइप डाले गए थे। पाइप से निकले पानी के प्रेशर से मिट्टी कट गई। गुरुवार को श्रद्धालुओं की ट्रैक्टर-ट्रॉली वहां से गुजरी तो करीब दो-ढाई फीट सड़क का किनारा टूट गया और यात्री पानी से लबालब भरे नाले की खाई में गिर गए। इसी हादसे में वीरेंद्र ¨सह के चौदह वर्षीय पुत्र रजत और श्रीराम के बीस वर्षीय पुत्र रामविलास की मौत हो गई थी। महावन पुलिस ने करीब चार बजे दोनों के शव लाकर के पोस्टमार्टम हाउस पर रख दिए। रात को ग्यारह बजे ही कन्नौज से वीरेंद्र ¨सह ग्रामीण रामबालक, राजकुमार और राजेश आदि के साथ यहां आ गए। गुरुवार की दोपहर डेढ़ बजे तक दोनों के शव कफन से ढके हुए पड़े थे। पुलिस ने उनको सील तक नहीं किया। करीब बाइस घंटे तक पोस्टमार्टम नहीं हो सका था।
ग्रामीणों ने तीर्थ यात्रियों की ट्राली में भूसे से भरी बोरी, जिनको वह बैठने के लिए भर कर लाए थे, वही सड़क किनारे रख दी थी ताकि कोई दूसरा हादसा न हो। गुरुवार की दोपहर को लोक निर्माण विभाग ने चार-पांच बेलदार भेज दिए थे। एक ठेकेदार ने फटे-पुराने सीमेंट के खाली बोरे पहुंचा दिए। उनमें मिट्टी भर कर बेलदार टूटे हुए किनारे पर लगा रहे थे। मिट्टी से भरे दो ड्रमों को सफेदी से पोत कर रख दिया। बेलदारों ने एक खतरे को टालने के लिए पास में ही दूसरा खतरा (गड्ढा) भी खोद डाला था। जो वर्षात होते ही सड़क को काटने के लिए कारगार हथियार साबित होगा। बेलदारों का कहना था कि उनको छोटे इंजीनियर साहब ने भेजा है, साहब तो यहां नहीं आए।
सड़क पर की गई ¨जदगियां निगलने की इंजीनिय¨रग:
ब्रह्मांड घाट तिराहे से गोकुल गांव की ओर कर पचास मीटर दूर सड़क किनारे बीस फीट लंबा गड्ढा है। इसमें घास उग आई, लेकिन मिट्टी नहीं भरी गई है। महावन नगर में सीसी रोड है। इसके मिट्टी डालकर फुटपाथ तक नहीं बनाए गए हैं। जमीन से करीब तीन-तीन फीट ऊंची सड़क बनाई गई है। महावन कस्बे से निकलते ही मथुरा मार्ग की तरफ एक पुलिया भी है। पुलिया और सड़क के बीच में करीब दो फीट का अंतर है जो तीन फीट गहरा है। इसमें भी मिट्टी नहीं डाली गई है। यहां रोशनी के भी कोई इंतजाम नहीं है। खरपतवार उग आने से यह खतरनाक गड्ढ़ा अब दिखाई भी नहीं दे रहा है। गोकुल बैराज के दोनों तरफ के मुख्य मार्ग में भी तीन-तीन फीट गहरे गड्ढे बने हुए हैं। फुटपाथ पर बिछाई गई इंटरलॉ¨कग बैठ गई है। सपोर्ट दीवार टूटी पड़ी है। इसी मार्ग से रोजाना हजारों तीर्थयात्री इन दिनों ट्रैक्टर-ट्राली में भरकर बलदेव, गोकुल, महावन के दर्शन करके गुजर रहे हैं। वृंदावन से पानीगांव होते हुए डांगोली गांव तक के सड़क किनारे खाई बनी हुई है। पानीगांव के पास भी सपोर्ट दीवाल टूटी पड़ी है। यहां बचाव के लिए मिट्टी से भरे बैग तक नहीं रखवाए गए हैं। रिफ्लेक्टर और संकेतांक लगवाने का काम दूर की बात है।
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महावन नगर में सीसी सड़क के फुटपाथ भरने के लिए विभाग कोई काम नहीं कर सकता है। क्योंकि इसकी टेक्नीकल ऑडिट कमेटी की जांच चल रही है। ब्रह्मांड घाट पर सड़क कटी है, न की उसका किनारा टूटा है। उसको ठीक कराया जा रहा है। राम नगरिया और ब्रह्मांड घाट तिराहे के पास सड़क किनारे गड्ढे होने की उनको कोई जानकारी नहीं है।
सूरज कुमार, अधिशासी अभियंता, लोक निर्माण विभाग निर्माण खंड