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नंबर गेम में बसपा भारी, रालोद व भाजपा ठोंकेगी अध्यक्षी को ताल

13 बसपा समर्थित प्रत्याशी जीते रालोद व भाजपा आठ-आठ पर सिमटेअध्यक्ष पद की दौड़ में बसपा सबसे आगे अन्य दल भी बना रहे रणनीति

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 May 2021 06:45 AM (IST)Updated: Wed, 05 May 2021 06:45 AM (IST)
नंबर गेम में बसपा भारी, रालोद व  
भाजपा ठोंकेगी अध्यक्षी को ताल
नंबर गेम में बसपा भारी, रालोद व भाजपा ठोंकेगी अध्यक्षी को ताल

जागरण संवाददाता, मथुरा : जिला पंचायत सदस्य का चुनाव परिणाम आने के बाद अब सियासी गणित जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पाने के लिए लगाई जा रही है। नंबर गेम में 13 सदस्यों के साथ बसपा का पलड़ा भारी है। जबकि रालोद व भाजपा समर्थित प्रत्याशियों की संख्या आठ-आठ है। तीन निर्दलीय हैं और एक सपा समर्थित। प्रबल दावेदार तो बसपा है, लेकिन अन्य भी इसके लिए मैदान में ताल ठोक रहे हैं। फिलहाल बहुमत किसी भी दल के पास नहीं है। नंबर गेम में ही जुगाड़ लगाई जा रही है।

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33 सीटों वाली जिला पंचायत में अध्यक्ष पद के लिए किसी भी दल को कम से 17 सदस्य चाहिए। बसपा के पास अब 13 सदस्य हैं। यानि कि बहुमत से चार कम। बसपा विधायक श्याम सुंदर शर्मा की पत्नी सुधा शर्मा ने वार्ड तीन से बसपा समर्थित प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की है। उन्हें अध्यक्ष पद के लिए प्रबल दावेदार माना जा रहा है। वार्ड 18 से पूर्व विधायक राजकुमार रावत की अनुज वधु ज्योति रावत को भी दावेदार माना जा रहा है, लेकिन नंबर गेम पूरा करने के लिए कहीं न कहीं दूसरे दलों या फिर निर्दलीय सदस्यों से भी संपर्क करना पड़ेगा। बसपा को पार्टी का अध्यक्ष बनाने के लिए चार और सदस्य चाहिए, निर्दलीय सदस्यों की संख्या तीन है। ऐसे में जाहिर है दूसरे दलों में तोड़फोड़ करनी होगी। उधर, भाजपा की ओर से किशन चौधरी को अध्यक्ष पद का दावेदार माना जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी नेतृत्व ने उन्हें पूर्व में ही आश्वस्त कर दिया था। लेकिन वार्ड 12 से कैबिनेट मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण की अनुज वधु देववती भी निर्दलीय चुनाव जीती हैं, ऐसे में कहीं न कहीं उनकी ओर भी लोगों की निगाहें लगी हैं। भाजपा अध्यक्ष बनने के लिए अपने आठ सदस्यों के बाद जरूरी 9 सदस्य कहां से लाएगी, ये चुनौती है।

रालोद के अनूप चौधरी को प्रमुख दावेदार माना जा रहा है। लेकिन रालोद को भी 9 सदस्य और पाले में लाने के लिए दूसरे दलों में तोड़फोड़ करनी होगी। या फिर किसी दल से हाथ मिलाना पड़ेगा। फिलहाल जोड़तोड़ अभी से शुरू हो गई है। अधिकृत प्रत्याशी पार्टी नेतृत्व करेगा, लेकिन गणित सब फिट कर रहे हैं।


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