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बहुमत की कसौटी पर चुनौती होंगी समस्याएं

सौंख (मथुरा): आजादी के 70 साल बाद जिस भारी मत प्रतिशत से जनता ने नव निर्वाचित चेयरमैन को अपना स

By JagranEdited By: Published: Wed, 06 Dec 2017 11:27 PM (IST)Updated: Wed, 06 Dec 2017 11:27 PM (IST)
बहुमत की कसौटी पर चुनौती होंगी समस्याएं
बहुमत की कसौटी पर चुनौती होंगी समस्याएं

सौंख (मथुरा): आजादी के 70 साल बाद जिस भारी मत प्रतिशत से जनता ने नव निर्वाचित चेयरमैन को अपना समर्थन दिया है इससे उनके सामने जनअपेक्षाओं पर खुद के खरा उतरने और जनसमस्याओं का समाधान करने की चुनौती भी बढ़ गई है। नव निर्वाचित चेयरमैन के सामने सबसे बड़ी चुनौती पीने के लिए मीठे पानी की उपलब्धता कराने की होगी।

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आजादी के बाद पिछले 7 दशक से कस्बा का नेतृत्व वैश्य बिरादरी के पास रहा है। लेकिन इस बार चुनाव में जनता ने कुल डाले गये मतों का करीब 51 प्रतिशत मत देकर जाट बिरादरी के मास्टर भरत ¨सह को चेयरमैन चुना है। लेकिन मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे कस्बावासियों की अपेक्षाओं पर खरा उतरना उनके लिए सबसे बडी चुनौती होगी।

कस्बा पिछले कई दशकों से मीठे पेयजल की सुविधा के लिए जूझ रहा है। लेकिन पेयजल का स्थायी समाधान अभी तक नहीं हो पाया है। इसे लेकर समय-समय पर जनता ने आंदोलन भी किए हैं। लेकिन परिणाम नहीं सुधर पाया। आज भी कस्बावासी खरीदकर पानी पीने को विवश हैं। नव निर्वाचित चेयरमैन को पेयजल समस्या का समाधान कराना एक बडी चुनौती होगी। दूसरी मुख्य समस्या कस्बा में गंदगी के लिए डलावघर की और मुख्य बाजार में शौचालयों का न होना है। गंदगी के लिए कोई निर्धारित डलावघर न होने से कस्बा का अपशिष्ट सौंख-गोवर्धन मार्ग पर सड़क किनारे ही डाल दिया जाता है। इससे कस्बा से होकर गुजरने वाले श्रद्धालुओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इससे कस्बे की आदर्श नगर पंचायत की छवि भी प्रभावित होती है। बाजारों में पुरुष और महिला शौचालयों का निर्माण करना भी एक बड़ी चुनौती है। आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले खरीदार और महिलाओं को शौचालय के बिना काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कस्बा की एक और विकराल समस्या गंदे पानी की निकासी को लेकर है। कस्बा के चारों ओर कोई ऐसा निकास नहीं है जिससे कस्बा का गंदा पानी दूर भेजा जा सके। इसके अभाव में अक्सर कस्बा का गंदा पानी किसानों के खेतों में भर जाता है और फसलों को नुकसान पहुंचाता है। पूर्व चेयरमैन ने भी इसको लेकर प्रयास किए थे लेकिन उनके कार्यकाल में वह प्रयास परवान नहीं चढ़ पाए।

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नव निर्वाचित चेयरमैन के सामने गंदे पानी की निकासी के लिए नाला निर्माण कराने की सबसे बड़ी चुनौती होगी। मेरे कार्यकाल में दो बार टेंडर कराने के बाद भी प्रयास परवान नहीं चढे़ थे। मीठे पेयजल के लिए नई बो¨रग कराने के लिए भी नए चेयरमैन को प्रयास करने होंगे।

शिवशंकर वर्मा, पूर्व चेयरमैन

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मीठे पेयजल और गंदे पानी की निकासी की समस्या का समाधान कराना मेरी पहली प्राथमिकता है। आगामी 6 माह में इन समस्याओं से जनता को निजात दिला दी जाएगी। शौचालय की समस्या भी मेरेसंज्ञान में है। जल्द ही इसकी रूपरेखा तैयार कर ली जाएगी।

मास्टर भरत ¨सह, नव निर्वाचित चेयरमैन, नगर पंचायत सौंख


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