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अब रथ मेले का छाएगा उल्लास

जासं, वृंदावन (मथुरा): भगवान श्रीकृष्ण की लीलाभूमि वृंदावन में पर्व-उत्सवों का उल्लास हमेशा ब

By JagranEdited By: Published: Sun, 04 Mar 2018 11:38 PM (IST)Updated: Sun, 04 Mar 2018 11:38 PM (IST)
अब रथ मेले का छाएगा उल्लास
अब रथ मेले का छाएगा उल्लास

जासं, वृंदावन (मथुरा): भगवान श्रीकृष्ण की लीलाभूमि वृंदावन में पर्व-उत्सवों का उल्लास हमेशा बना रहता है। इसी लिए यहां किवदंती भी है कि सात वार नौ त्योहार। होली की तरंगें अभी कम नहीं हुई हैं, इसी बीच दक्षिण भारतीय परंपरा के रंगजी मंदिर का ब्रह्मेत्सव जिसे उत्तर भारत में रथ मेला के नाम से जाना जाता है, छह मार्च से शुरू होगा।

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दस दिवसीय ब्रह्मेत्सव में हर दिन ठा. गोदारंगमन्नार सोने-चांदी के अलग-अलग वाहनों में विराजमान होकर नगर भ्रमण को निकलेंगे। मेले का मुख्य आकर्षण रथ की सवारी होगी। इस दिन मेले का आनंद लेने को आसपास के जनपदों से लाखों श्रद्धालु पहुंचेंगे। मेले की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।

रंगजी मंदिर से लेकर नगर पालिका चौराहा तक घरेलु वस्तुओं से लेकर महिला सौंदर्य, फोटो गैलरी से लेकर झूला और चरख आदि तैयार हो चुके हैं। महिलाओं ने मेला लगते ही खरीदारी भी शुरू कर दी है।

रंगजी मंदिर के कार्यवाहक प्रबंधक लखनलाल पाठक के अनुसार मंदिर में दस दिवसीय ब्रह्मेत्सव की शुरूआत छह मार्च से होगी। पहले दिन ठाकुरजी सुबह पूर्णकोठि में विराजमान होकर निकलेंगे, जो रंगजी के बड़ा बगीचा पहुंचेंगे। यहां ठाकुरजी की आरती, प्रसाद अर्पित करने के बाद विश्राम दिया जाएगा। कुछ देर विश्राम के बाद ठाकुरजी पुन: मंदिर को लौटेंगे। इसी प्रकार शाम को सोने के ¨सह पर विराजमान होकर ठाकुरजी बड़े बगीचा के लिए निकलेंगे और रात में मंदिर लौटेंगे। इसी तरह दूसरे दिन सुबह सूर्य प्रभा और शाम को हंस पर विराजमान होंगे। तीसरे दिन सुबह गरुड़जी पर और शाम को सोने के हनुमानजी पर विराजमान होकर बड़े बगीचा पहुंचेंगे। इसी दिन छोटी आतिशबाजी का आयोजन होगा। इसके बाद नौ मार्च को सुबह शेषजी पर और शाम को कल्पवृक्ष पर निकलेंगे ठा. गोदारंगमन्नार।

10 मार्च को सुबह पालकी में और शाम को ¨सह सार्दूल पर विराजमान होकर निकलेंगे। 11 मार्च को दोपहर को कांच के विमान में ठाकुरजी भक्तों संग होली खेलते हुए निकलेंगे और शाम को चांदी के हाथी पर विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देंगे। 12 मार्च को भव्य रथ में निकलेगी भगवान गोदारंगमन्नार की सवारी। 13 मार्च को शाम अश्व वाहन निकलेंगे भगवान और बड़े बगीचा पर आतिशबाजी का लुत्फ उठाएंगे। 14 मार्च को सुबह पालकी में नगर भ्रमण को निकलेंगे। अंतिम दिन 15 मार्च को सुबह चंद्रप्रभा पर तो शाम को पुष्प विमान पर विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देने निकलेंगे ठा. गोदारंगमन्नार।

मेले में लगे झूले, सजी दुकानें

रंगजी मंदिर में आयोजित होने वाले रथ मेले के लिए छोटे बड़े झूले, दुकानें और अस्थाई फोटो स्टूडियो स्थापित हो चुके हैं। लोग अभी से मेले का आनंद लेने के लिए पहुंच रहे हैं।


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