धवल चांदनी में दीपों से महारास स्थली का श्रंगार
गोवर्धन (मथुरा): चंद्र सरोवर की लहरों पर मुस्कुराते दीपों के सौंदर्य ने शरद पूर्णिमा के चंद्र
गोवर्धन (मथुरा): चंद्र सरोवर की लहरों पर मुस्कुराते दीपों के सौंदर्य ने शरद पूर्णिमा के चंद्रमा के सौंदर्य का गुरूर भी तोड़ दिया। ब्रज की फिजा में रस घोलते बांसुरी के स्वर के बीच महारास स्थली चंद्र सरोवर का 11 हजार दीपों से अद्भुत श्रृंगार किया गया।
द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात यहीं पर महारास का आयोजन पर गोपियों की इच्छा को पूरा किया था। इसी रास की याद को ताजा करने के लिए यहां मंदिरों में जगह-जगह आयोजन किए जाते हैं। ब्रज निष्ठ संत कन्हैया बाबा के सानिध्य में गिरधारी मुखिया, ओम प्रकाश कौशिक, देवी बहिन, राजेन्द्र प्रसाद बिरला आदि ने सरोवर के वृक्षों की पत्तियों पर दीपक रख सजाया। इनकी रोशनी जब चंद्र सरोवर पर पड़ी, तो चंद्रमा भी लजा गए। शुभारम्भ में गोपी गीत का सामूहिक पाठ हुआ। गोपाल प्रसाद उपाध्याय गोप ने 'शरद पूर्णिमा प्यारी रच्यौ रास श्रीरास बिहारी' गाया। प्रसिद्ध मुकुट मुखार¨वद मंदिर, दानघाटी मंदिर और जतीपुरा मुखार¨वद पर भी प्रभु को श्वेत वस्त्र धारण कराए गए और खीर का प्रसाद वितरित किया गया।