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राधा भई श्याम, श्याम श्यामा रंग डूब गए..

जगमोहन में बैठकर ठा. बांकेबिहारी ने खेली भक्तों संग होली रंगभरनी एकादशी पर उड़ा अबीर-गुलाल गूंजे होली के रसिया

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Mar 2019 10:59 PM (IST)Updated: Sun, 17 Mar 2019 10:59 PM (IST)
राधा भई श्याम, श्याम श्यामा रंग डूब गए..
राधा भई श्याम, श्याम श्यामा रंग डूब गए..

वृंदावन, जासं। मोर मुकुट, कटि काछिनी, श्वेत वस्त्रों पर सुनहरा श्रृंगार और चांदी के सिंहासन पर बैठ हाथ में चांदी की पिचकारी व कमर पर गुलाल का फेंटा बांध जब आराध्य बांकेबिहारी ने दर्शन दिए तो भक्तों के आनंद का ठिकाना नहीं रहा। हुरियारे बने बांकेबिहारी की पिचकारी से जब टेसू के रंगों की बौछार हुई तो आस्था और उमंग हिलोरें मारने लगीं। होरी के आनंद में मदमस्त श्रद्धालुओं का अल्हड़पन और पिचकारी से छूटते रंग, उड़ता गुलाल और भीड़ को चीरकर आगे बढ़ने की जद्दोजहद। बांकेबिहारी मंदिर में सुबह पट खुलने के साथ बना ये ²श्य देर शाम तक अनवरत रूप से प्रत्यक्ष हो रहा था।

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राधा भई श्याम, श्याम श्यामा रंग डूब गए.. की गूंज के साथ बांकेबिहारी मंदिर में शुरू हुई रंगों की होली का आनंद लेने देश ही नहीं विदेश से भी हजारों श्रद्धालुओं ने वृंदावन में डेरा डाल रखा है। सुबह पट खुलने से पहले ही भक्तों का हुजूम मंदिर के बाहर खड़ा था। जब ठा. बांकेबिहारी ने दर्शन दिए तो निहाल हो गए उनके भक्त। मंदिर में उल्लास ऐसा छाया कि क्या बुजुर्ग और क्या जवान हर कोई होली के रंग में रंगा नजर आया। ठाकुरजी की पिचकारी से निकला रंग ऐसा कि टोलियों में मंदिर पहुंचे श्रद्धालु भी आपस में एक-दूसरे को नहीं पहचान पा रहे थे। बंदर ले गया सिपाही की कैप

बांकेबिहारी मंदिर की परिक्रमा में ड्यूटी पर तैनात सिपाही श्रद्धालुओं को संभाल रहा था। अचानक छत से बंदर आया और उसके सिर से टोपी उतारकर ले गया। सिपाही ने बंदर से टोपी लेने के प्रयास किए। जब तक बंदर को फ्रूटी नहीं मिली, उसने टोपी वापस नहीं की।


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