शिक्षा का लक्ष्य बेहतर मनुष्य बनाना: हृदयनारायण
मथुरा, वृंदावन: विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा है कि भारत में शिक्षा का प्रमुख उद्दे
मथुरा, वृंदावन: विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा है कि भारत में शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य प्रामाणिक मनुष्य बनाना है। केवल रोजगार देना शिक्षा का सर्वमान्य उद्देश्य नहीं होना चाहिए। इसका आधुनिकीकरण हो, न कि व्यवसायीकरण।
विधान परिषद की सांविधानिक एवं संसदीय अध्ययन संस्थान उप्र की क्षेत्रीय शाखा का बुधवार को फोगला आश्रम में दो दिवसीय सेमिनार शुरू हुआ। इसमें बतौर मुख्य अतिथि दीक्षित ने कहा कि जीवनयापन के लिए रोजगार जरूरी है, लेकिन शिक्षा का उद्देश्य प्रामाणिक तौर पर मनुष्य बनाना ही होना चाहिए। प्रामाणिक मनुष्य ही राष्ट्र उत्थान में अपनी सेवाओं के जरिए काम करता है। गुरुकुल प्रणाली में जो शिक्षा मिलती थी, वह आज भी प्रासंगिक है। विधान परिषद के अध्यक्ष रमेश यादव ने कहा कि आधुनिक शिक्षा पद्धति में सामाजिक समृद्धि एवं प्रतिष्ठा का समावेश तो है, पर इसका उपयोग कैसे किया जाए, इस जानकारी का अभाव है। हमें भगवान श्रीकृष्ण की कर्मभूमि से अपने विचारों को जनमानस तक संदेश के रूप में पहुंचाना है।
संस्थान के सदस्य कृष्ण नारायण मिश्र ने कहा कि वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में राष्ट्रीयता व सामाजिकता के तत्व नहीं हैं। यह मूल्यहीन शिक्षा है। इसमें जीवन को सफल और सार्थक बनाने वाले मूल्य नहीं हैं। प्रमुख सचिव डॉ. मोहन यादव ने कहा कि व्यवसायीकरण तथा निजीकरण ने शिक्षा क्षेत्र को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। धन के आधार पर आइआइटी, एमबीबीएस, सीए आदि उपाधियों में प्रवेश हासिल किया जा रहा है। इससे हीनभावना से ग्रसित वंचित छात्रों के बीच असमानता बढ़ रही है। सामाजिक असंतुलन और विषमता इसका परिणाम है। सेमिनार में आए विधान परिषद सदस्यों, पूर्व सदस्यों ने भी शिक्षा के बाजारीकरण पर ¨चता जताई।
सेमिनार में डॉ. अतुल कुमार यादव, जमील अहमद, अनंत बहादुर, उदयराज, डॉ. आशा त्रिपाठी, संजय यादव, नूतन यादव, डॉ. अल्पा यादव, वीना महेंद्र, डॉ. अरुण कुमार यादव, महेंद्र नारायण सक्सेना समेत अनेक लोग मौजूद रहे। संचालन विजय आचार्य ने किया।