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भ्रष्टाचार की जांच को खंगाली विप्रा की फाइलें

जागरण संवाददाता, मथुरा: मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण में हुए भ्रष्टाचार की जांच शुरू हो

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Apr 2018 11:45 PM (IST)Updated: Tue, 17 Apr 2018 11:45 PM (IST)
भ्रष्टाचार की जांच को खंगाली विप्रा की फाइलें
भ्रष्टाचार की जांच को खंगाली विप्रा की फाइलें

जागरण संवाददाता, मथुरा: मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण में हुए भ्रष्टाचार की जांच शुरू हो गई है। मंगलवार को लोकायुक्त के निर्देश पर आगरा एडीए के उपाध्यक्ष ने विप्रा की फाइलों की करीब दो घंटे तक खंगाला। वह अपनी टीम के साथ यहां जांच करने के लिए आए थे।

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पूर्व जिलाधिकारी एवं उपाध्यक्ष सदाकांत शुक्ला ने वृंदावन स्थित खसरा 1305/1 सुनरख बांगर में अवैध भवन और आश्रम का निर्माण कराया। इनका भवन टैक्स भी जमा नहीं कराया गया। मई 2017 में गड़बड़ी छिपाने के लिए लोकायुक्त को गलत रिपोर्ट भेजी गई। इसकी दुबारा जांच लोकायुक्त आगरा के विप्रा उपाध्यक्ष राधेश्याम मिश्रा से करा रहा है। इसके साथ अन्य मामले भी है। दस लाख रुपये से अधिक के भवन का मानचित्र मंजूर करते समय टैक्स जमा नहीं कराया गया। इसमें मुख्य सचिव के आदेश का भी उल्लंघन किया गया। वृंदावन ओमेक्स ने जो मानचित्र स्वीकृत कराया, उसके विपरीत निर्माण कार्य कराया गया। विप्रा में उन गाड़ियों का लगाया था, जिनके पास टैक्सी का परमिट नहीं था। उनको फर्जी भुगतान किए गए। टैक्स और सर्विस टैक्स की चोरी की गई। गंगा सिटी कोयला अलीपुर में नियम के विरुद्ध प्लांटों का आवंटन कर दिया गया। डूब क्षेत्र में भी कॉलोनी बसा दी गई। यहां तक कि कृष्ण बिहार आवासीय योजना में स्कूल की जमीन अपात्र संस्था बाल शिक्षा कल्याण समिति को आवंटित कर दी गई। कदम्ब विहार आवासीय योजना में स्वर्ण जयंती हॉस्पीटल के पास आवासीय ए-1 प्लाट को नियमों का उल्लंघन करते हुए विप्रा ने कार्मिशियल कम्पलैक्स खड़ा करवा दिया है। औरंगाबाद में चौधरी जगवीर ¨सह की मार्केट का विकास प्राधिकरण ने दो बार सील किया, लेकिन इसके बाद भी मार्केट का निर्माण कर लिया गया। रुकमणि बिहार आवासीय योजना में भूखंड जीएच-01 को निरस्त कर दिया गया और उसका पुर्नजीवित चार्ज जमा कराए बगैर ही उसकी रजिस्ट्री कर दी गई। इससे विकास प्राधिकरण को लाखों रुपये की वित्तीय क्षति भी पहुंचाई गई। आनंद मोहन सक्सैना, प्रमोद कटारा, विजय शर्मा, एसडी शर्मा, मनोज सागर समेत पच्चीस अधिकारी-कर्मचारियों ने अनुचित तरीके से वेतन का लाभ लिया। संविदा कर्मियों की साइड पर संख्या अधिक दिखाई गई, जबकि कर्मचारियों की नियुक्ति कम की गई। इन कर्मचारियों के नाम पर फर्जी भुगतान किए गए। इन सब मामलों की शिकायत गाजियाबाद के कवि नगर निवासी सुरेंद्र ¨सह लोकायुक्त से की थी। उनकी शिकायत के आधार पर लोकायुक्त ने जांच आगरा विप्रा उपाध्यक्ष राधेश्याम मिश्रा को सौंपी थी। दोपहर में वह अपनी टीम के साथ जांच करने के लिए यहां आए थे। उनके साथ मथुरा-वृंदावन के विप्रा के चीफ इंजीनियर अजित प्रताप ¨सह और सहायक अभियंता अमित कादियान भी रहे।


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