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नैनन में पिचकारी दई, मोय गारी दई, होरी खेली ना जाय

संवाद सूत्र, मथुरा, बरसाना: बरसाना में होरी की मस्ती कौ ऐसौ बवंडर उठौ, जामें सगरे प्रशासि

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Feb 2018 11:43 PM (IST)Updated: Sat, 24 Feb 2018 11:43 PM (IST)
नैनन में पिचकारी दई, मोय गारी दई, होरी खेली ना जाय
नैनन में पिचकारी दई, मोय गारी दई, होरी खेली ना जाय

संवाद सूत्र, मथुरा, बरसाना: बरसाना में होरी की मस्ती कौ ऐसौ बवंडर उठौ, जामें सगरे प्रशासनिक बंधन दरकिनार है गए। अद्भुत भक्ति, अकल्पनीय नजारा, अद्वितीय सौन्दर्य। बरसाना की लठामार होरी में जमकर प्रेमरंग की बारिश भई। योगी के जाते ही पिचकारी ते निकरी अनेक रंगन की धार नै श्रद्धा कौ सगरौ तन मन तरबतर कर दियौ। रंगील गली और कटारा तिराहे पर नंदगांव के हुरियारों पर प्रेमपगी लाठियां बरसीं।

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दुनिया भर की भक्ति और वैभव बरसाना की या लठामार होरी में सिमट कै रह गयौ। लहंगा फरियान नै पहर कै सजी संवरी भोरी भारी गोपियां हाथन में चमचमाती लठिया लै कै घूंघट की ओट ते ग्वालन पै दमखम ते लठिया मार रही हैं। हुरियारे अपनी ढालन पै प्रहार कू झेल कै खुद कौ बचाव कर रए हैं। उत्साह ते लबरेज औरतन के आगै आज मर्द बेबस और असहाय बने बचाव की मुद्रा में है। या दृश्य कू देखवे के ताईं उमड़े लाखों भक्तन की दिव्यता ब्रह्मांचल पर्वत की विशालता पै भारी पड़ रई है।

शनिवार कू सुबह ते ही देश दुनिया के लोगन कौ रुख राधा के गांव की ओर हतौ। बरसाना कू जोडवे वारे रास्ता राधे-राधे की गूंज के साथ अनवरत लाड़िली जी के दर्शनन कू बहतौ रह्यौ । रंगीली गली में तो पैर रखवे कू तिल भरऊ जगह नाय मिली। बच्चा, जवान और बूढे सबन में होरी कौ जोश देखवे कू मिलौ। भोर ते ई श्रद्धालुन नै गहवर वन की परिक्रमा लगावौ शुरु कर दियौ। परिक्रमा के समय श्रद्धालु जोश ओ मस्ती ते नाचते कूदते भए होरी के भजन गायते चल रए। श्रीजी मंदिर में लोगन नै राधा रानी के चरणन में गुलाल डारी। राधा रानी की लीलान में भाग लैवै पै खुद के भाग्य सराहती भई हुरियारिन पंरपरागत कपड़ा लंहगा चूनरी कू पहन कै तैयार है रई हैं। कान्हा के सखा होली खेलवे आते ही हुंगे। दुपहर में नंदगांव ते हुरियारेन के टोल के टोल आवे शुरु है गए। होरी की मस्ती में होश गंवाए हुरियारेन कौ जोश और उमंग देखते ही बन रह्यौ है। धोती और बगलबंदी पहर कै हुरियारे कंधान पै ढाल रख कै आए। सबते पहले भांग की ठंडाई में केवडा, गुलाबजल और मेवान कौ घोल कर हुरियारेन की खातिर करी गई । प्रिया कुंड पर पाग बांधवे के बाद हुरियारे लाडिली जी मंदिर की ओर चल दिए है।'दरसन दै निकसि अटा में ते दरसन दै'गाते भए हुरियारे मंदिर में घुस गए। कान्हा की प्रतीक ध्वजा कू मंदिर में किशोरी जी के पास रख दियौ । जो या बात कौ प्रतीक है कै नटवर नंद किशोर फाग खेलवे के ताईं बरसाना आय गए हैं। मंदिर में दोनों गांवन के गोस्वामिन के बीच समाज गायन है रह्यौ है। गुलाल इतनौ उड़ो कै पूरौ ब्रज रंग बिरंगौ नजर आयवे लग गौ। रंगीली गली में हुरियारिन अपने दरवाजे पै टोल बना कै खडी भई है। हुरियारेन नै उनकू देखकै प्रेम भरी गारी दैवौ शुरू कर दियौ। जाके बाद हुरियारिन लठिया लैकै हुरियारेन में मारवे लगीं। विश्व प्रसिद्ध लठामार होली का यह दृश्य द्वापर युगीन कल्पना कौ साकार रूप बन भक्तन कू आनंदित कर रह्यौ है।


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