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वाचिक परंपरा को साधे हुए है आकाशवाणी

जागरण संवाददाता, मथुरा: मथुरा-वृंदावन आकाशवाणी का 52वां स्थापना दिवस सोमवार को हर्षोल्लास क

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Jan 2018 11:18 PM (IST)Updated: Mon, 29 Jan 2018 11:18 PM (IST)
वाचिक परंपरा को साधे हुए है आकाशवाणी
वाचिक परंपरा को साधे हुए है आकाशवाणी

जागरण संवाददाता, मथुरा: मथुरा-वृंदावन आकाशवाणी का 52वां स्थापना दिवस सोमवार को हर्षोल्लास के साथ मनाना गया। इस मौके पर परिसंवाद के तहत आकाशवाणी आज-कल और कल विषय पर वक्ताओं ने ब्रजभाषा व ब्रज लोक कलाओं के प्रचार-प्रसार में आकाशवाणी के अविस्मरणीय योगदान का उल्लेख किया। साथ ही आकाशवाणी की लोकप्रियता को बनाए रखने के सुझाव भी दिए। आकाशवाणी से सेवानिवृत्त पुराने सहयोगियों को उनकी बेहतर सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया।

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सोमवार को स्थापना दिवस पर आयोजित परिसंवाद में सहायक निदेशक कार्यक्रम अर¨वद त्रिपाठी ने कहा कि उपलब्धियों के साथ कमियों पर बात जरूरी है। आकाशवाणी की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि बदलाव के दौर में वाचिक परंपरा को साधे हुए है। उसने ब्रज की लोक कला, साहित्य, हवेली संगीत, शास्त्रीय संगीत को ब्रज जनों तक पहुंचाया है। सुप्रसिद्ध ब्रज लोक गायिका माधुरी शर्मा ने कहा कि वह जो कुछ भी हैं, उसमें मथुरा आकाशवाणी की भूमिका महत्व की है। आकाशवाणी ने लोक गीतों को दुनिया में सम्मान दिलाया है। प्रगतिशील किसान सुधीर अग्रवाल ने सुझाव दिया कि कृषि जगत कार्यक्रम का समय बढ़ाया जाए। मंडियों के भाव की जानकारी शुरू की जाए। साहित्यकार डॉ. अनिल गहलौत ने चौपाल कार्यक्रम की लोकप्रियता की चर्चा की। रंगकर्मी चंद्रशेखर, पत्रकार विजय आर्य विद्यार्थी, किशन चतुर्वेदी, डॉ. अशोक बंसल ने कहा कि तकनीकी बदलाव के साथ आकाशवाणी को भी अपडेट करना होगा, ताकि लोग श्रोता जुड़े रहें। अंत में आकाशवाणी को बेहतर सेवा दे चुके सेवानिवृत्त साथियों को सम्मानित किया।

इस दौरान पूर्व उद्घोषक श्रीकृष्ण शरद, राधा बिहारी गोस्वामी, संगीतज्ञ हरिबाबू कौशिक, आरके त्रिपाठी, विमल खन्ना, राकेश शर्मा, एसपी शर्मा, सत्यदेव आजाद, श्याम बिहारी, दिलीप यादव, केजी चतुर्वेदी, कीमत कुमार आदि थे। संचालन रश्मि शर्मा ने और अंत में सभी का आभार कार्यक्रम अधिकारी सत्यव्रत ¨सह ने किया।

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कार्यक्रमों पर सालना खर्च 75 लाख रुपये

मथुरा: स्थापना दिवस कार्यक्रम में आकाशवाणी की 67 साल लंबी यात्रा पर कार्यक्रम अधिकारी सत्यव्रत ¨सह द्वारा बनाई गई लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया। फिल्म में दो कमरों से शुरू यात्रा आज कहां तक पहुंची इसे आंकड़ों के साथ सिलसिलेवार बताया गया। 2008 से आकाशवाणी का डिजिटलाइजेशन कर हजारों की संख्या में पुराने टेपों को कंप्यूटरीकृत किया गया है। इनमें 18000 फिल्मी गाने शामिल हैं। आकाशवाणी ने 265 ब्रज कलाकारों को जोड़ा है। 158 नाटककार, 90 उद्घोषक, 120 कवि व वार्ताकार और 100 कृषि वैज्ञानिक जुड़े हुए हैं। कार्यक्रमों की तैयारी पर सालाना 75 लाख रुपये खर्च किए जाते हैं। मथुरा आकाशवाणी पर ¨हदी, उर्दू, संस्कृत और ब्रजभाषा में कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाता है। आकाशवाणी के पुस्तकालय में 600 पुस्तकों का संग्रह है।


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