गिरिराजजी के आंगन में नतमस्तक रहा नववर्ष का पहला दिन
नववर्ष की सुबह ने अभी ठीक से आंखें भी नहीं खोली थीं कि समूची दुनिया
मथुरा, जागरण संवाददाता : नववर्ष की सुबह ने अभी ठीक से आंखें भी नहीं खोली थीं कि समूची दुनिया का वैभव पर्वतराज के आगे नतमस्तक नजर आया। ज्योंही सूर्य ने दस्तक दी, गिरिराज प्रभु के प्रति अटूट विश्वास की डोर में बंधे भक्त खिचे चले आए और कारवां बन गया।
शुक्रवार को नववर्ष के पहले दिन गिरिराज प्रभु की नगरी में श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचे। गलन भरी सर्दी और सर्द हवाएं भक्तों के विश्वास से हार गए, दोपहर में धूप खिली तो फिजाओं में जयकारे गूंजने लगे। भक्त मोतियों से बिखरने लगे और सात कोस में मानव माला में परिवर्तित हो गए। नए साल का पहला दिन व्यवस्थाओं के नाम सामान्य रहा, परिक्रमा मार्ग में सफाई दिखी। मुकुट मुखारबिद पर परिक्रमार्थियों के लिए प्रभु का प्रसाद वितरण हुआ। नववर्ष पर भक्ति में डूबे श्रद्धालु परिक्रमा लगाकर नंदगांव, बरसाना, कृष्ण जन्मभूमि मथुरा, वृंदावन, गोकुल, महावन के मंदिरों में प्रभु के दर्शनों को भी पहुंच रहे हैं। दानघाटी मंदिर, हर गोकुल मंदिर, मुकुट मुखारबिद मंदिर, जतीपुरा मुखारबिद मंदिर में गिरिराज प्रभु का दुग्धाभिषेक करने के लिए भक्तों की लंबी कतार लगी रही। कई भक्त तो दूध के मानकों के प्रति इतने संवेदनशील नजर आए कि उन्होंने दूध की बजाय पैसे चढ़ा दिए। दोपहर में प्रभु को प्रसाद समर्पित कर शयन करा दिया गया। इसके बाद प्रभु का मनमोहक श्रृंगार भक्तों को आनंदित करता रहा। कस्तूरी तिलक से सुसज्जित मस्तक, कजरारे नयन, ठोढ़ी पर हीरा, लकुटि, कांवरिया, गले में बैजयंती माला, रंग बिरंगी पोशाक पर जवाहरात के आभूषण पहने प्रभु पुष्प महल में विराजमान हो गए।