यमुना किनारे अतिक्रमण पर हाईकोर्ट के पाले में डाली एनजीटी ने गेंद
एनजीटी के आदेश के बाद डूब क्षेत्र में बसे लोगों के चेहरे खिल उठे हैं। लोगों का कहना है कि अब तक एनजीटी में सुनवाई के दौरान पीड़ित पक्ष रखेंगे
संवाद सहयोगी, वृंदावन: राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा यमुना खादर में बसी कॉलोनियों के ध्वस्त करने के मामले को लेकर भय के साए में जीवन गुजार रहे लोगों को एनजीटी के एक आदेश ने राहत दे दी है। एनजीटी ने यमुना किनारे हो रहे अवैध अतिक्रमण व सड़क निर्माण की याचिका पर सुनवाई की तो प्रतिवादी ने मामले की मॉनीटरिग उच्च न्यायालय द्वारा किए जाने की जानकारी दी। इस पर एनजीटी ने मामले से हाथ खींचते हुए हाईकोर्ट के पाले में गेंद डाल दी है, लेकिन यमुना किनारे डूब क्षेत्र से मलबा पूरी तरह हटाने की भी सलाह अपने आदेश में दी है। एनजीटी के आदेश के बाद डूब क्षेत्र में बसे लोगों के चेहरे खिल उठे हैं। लोगों का कहना है कि अब तक एनजीटी में सुनवाई के दौरान पीड़ित पक्ष रखेंगे।
परिक्रमा मार्ग स्थित कृष्णा कुटी में शनिवार को पत्रकार वार्ता में महंत स्वामी कृष्णानंद ने बताया कि यमुना किनारे डूबक्षेत्र में निर्माण व सड़क निर्माण के मामले में याचिकाकर्ता आकाश वशिष्ठ ने एनजीटी में याचिका दायर की थी। याचिका पर एनजीटी ने डीएम मथुरा, उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व उत्तर प्रदेश सिचाई विभाग की कमेटी गठित कर चीरघाट से गोविद घाट व भ्रमण घाट तक करीब 300 मीटर पक्की सड़क निर्माण व यमुना किनारे मलबा डाले जाने की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद जिला प्रशासन ने परिक्रमा मार्ग में यमुना किनारे बने पीडब्ल्यूडी के स्टोर रूम व कैंप कार्यालय को ध्वस्त कराकर मलबा हटवा दिया। साथ ही रिपोर्ट में बताया गया कि परिक्रमा मार्ग में पिछले काफी समय से क्षतिग्रस्त पड़ी सड़क का निर्माण स्थानीय परिक्रमार्थियों व श्रद्धालुओं की सुविधार्थ कराया था और इससे यमुना के डूब क्षेत्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। स्वामी कृष्णानंद ने कहा कि अब डूबक्षेत्र के मामले में दाखिल याचिका पर भी अपना पक्ष रखने के लिए अब अधिवक्ता के जरिए सुनवाई में शामिल होंगे।