बागवानी को 16 किसानों ने मांगी मनरेगा में मजदूरी
-उद्यान विभाग ने ग्राम सभाओं को भेजे किसानों के प्रस्ताव -अपने ही खेत पर मिट्टी का काम करने पर मिलेगा पारिश्रमिक
जागरण संवाददाता, मथुरा : संकटकाल में गरीब मजदूरों के लिए संकटमोचक सिद्ध हो रही महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना ने एक हेक्टेयर से कम जोत के किसानों की फसलों में लागत कम करने के भी दरवाजे खोल दिए हैं। अपने खेतों पर अमरूद, नींबू और अनार की बागवानी लगाने के लिए होने वाले मिट्टी कार्य का भुगतान अब ग्राम पंचायत से होगा। इसके लिए सोलह किसानों ने उद्यान विभाग में आवेदन किए हैं। उनको इस प्रस्ताव को उद्यान विभाग ने ग्राम सभा की मंजूरी के लिए भेजा है।
किसानों को अपने खेत पर मेड़ डालने, गूल खोदने और गड्ढे खोदने पर कोई श्रममूल्य नहीं मिलता था। कोविड-19 ने किसान मजदूरों के सामने जो आर्थिक संकट पैदा हुआ है, उनको राहत देने के लिए सरकार ने मनरेगा में किसानों को बागवानी के कार्य के लिए होने वाले कच्चे काम का भुगतान करने का प्रावधान किया है। इसके लिए जिले भर से सोलह किसानों ने उद्यान विभाग में अमरूद, नींबू और अनार के बाग लगाने को आवेदन किए हैं। जिला उद्यान अधिकारी जगदीश प्रसाद ने बताया कि 70 हेक्टेयर में अमरूद, नींबू और अनार के बाग लगवाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए एक हेक्टेयर से कम जोत के किसानों से प्रस्ताव मांगे थे, जिनको मनरेगा से काम का भुगतान कराया जा सके। अभी तक 16 किसानों के आवेदन बने हैं, उनके प्रस्ताव ग्राम पंचायत को भेज दिए हैं।