कोरोना से जंग के बीच पुरानी रंगत में लौट रही कान्हा की नगरी
जागरण संवाददाता मथुरा कोरोनाकाल में मंदिरों के पट बंद हुए तो कान्हा की नगरी की रफ्
जागरण संवाददाता, मथुरा : कोरोनाकाल में मंदिरों के पट बंद हुए, तो कान्हा की नगरी की रफ्तार जैसे थम सी गई। सड़कें सूनी हुईं, तो बिना श्रद्धालु रोजगार भी ठप हो गए। ज्यादातर मंदिर अभी बंद हैं, लेकिन अधिकमास ने रौनक बढ़ा दी है। हजारों श्रद्धालु ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा लगा रहे हैं। ऐसे में धर्मनगरी फिर से गुलजार होने लगी है।
17 सितंबर से शुरू हुए अधिकमास में रोज हजारों श्रद्धालु ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा लगा रहे हैं। हालांकि कोरोनाकाल के चलते पहले की तरह भीड़ नहीं है, लेकिन परिक्रमार्थियों ने छह माह से अधिक समय से धर्मनगरी में पसरा सन्नाटा तोड़ा है। चौरासी कोस परिक्रमा के लगभग हर रास्ते पर श्रद्धालुओं की भीड़ है। इससे दुकानदारों को चेहरे खिल गए हैं। अभी मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान, द्वारिकाधीश महाराज, बरसाना में लाड़ली जी मंदिर और गोवर्धन में मुकुट मुखारबिद मंदिर के पट ही श्रद्धालुओं के लिए खुले हैं। 17 अक्टूबर से ठाकुर बांकेबिहारी के पट भी श्रद्धालुओं के लिए खुल जाएंगे। ऐसे में सूना वृंदावन फिर से अपनी रौ में लौटेगा। वृंदावन के दुकानदार शोभित गोयल कहते हैं कि छह माह से पूरे वृंदावन में सन्नाटा है। सारा रोजगार मंदिर और यहां आने वाले श्रद्धालुओं पर ही टिका है। श्रद्धालु न आने से काम-धंधा नहीं था। करीब चालीस फीसद तो आबादी ऐसी है, जिसका खर्च चलना भी मुश्किल हो रहा है। लेकिन, अधिकमास के बहाने धीरे-धीरे श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ रही है। गोवर्धन के दुकानदार पवन कुमार, दानी सैनी, साजन कुमार, सुदीप कहते हैं कि गोवर्धन में पसरा सन्नाटा भी परिक्रमार्थियों ने तोड़ा है। गोवर्धन में रोजगार मंदिर और श्रद्धालुओं से ही मिलता है। अब उम्मीद है कि जल्द ही पुराने दिन लौटेंगे।