बांगर के पानी में बह गए बीहड़ के सैकड़ों बांध
यमुना के तटवर्ती इलाके के दो दर्जन गांवों में कराया गया था निर्माण, ग्रामीण की बढ़ रही लगातार मुसीबत
मनोज चौधरी, मथुरा: यमुना के बीहड़ के ढाल पर बांगर के पानी को रोकने के लिए बनाए गए सैकड़ों बांध वर्षा में बह गए। बांधों के टूटने से ग्रामीण की लगातार मुसीबत बढ़ रही है। यमुना के दोनों किनारे की करीब 80 किलोमीटर क्षेत्र के 35 हजार हेक्टेयर भूमि का तेजी से कटान हो रहा है। यमुना भी अपनी जलधारा की राह को तेजी से बदल रही है।
पिछले सप्ताह हुई अधिक वर्षा ने चौतरफा तबाही मचाई है। बांगर की भूमि पर बरसाती पानी को रोकने के लिए भूमि संरक्षण विभाग ने यमुना के किनारे बीहड़ के ढाल पर समोच्य रेखीय बांध, मार्जिनल (पेरीफेरल) बांध और सेल्जर बांधों का निर्माण कराया था। एक दशक में बाबूगढ़, सकराया, सेही, शेरगढ़ बसाई, नेरा, सेहत, छांहरी, विजौली, हबीपुर, नवीपुर, मुसमुना, नानकपुर, मनीगढ़ी, गढ़ाया लतीफपुर, मझोई, रैपुरजाट में बांधों का निर्माण कराया गया था। बांध 50 से लेकर 100 मीटर थे। दो-दो मीटर ऊंचे और चौड़े इन बांधों की मोटाई छह मीटर थी। मार्जिनल बांधों की लंबाई दो सौ मीटर तक थी, लेकिन ये दो फीट ऊंचे और डेढ़ मीटर चौड़े थे। इसके साथ ही मेड़बंदी भी पानी को रोकने के लिए कराई गई थी। हजारों मीटर लंबी मेड़ जिले भर में डाली गई। एक दशक में बीहड़ में 974 समोच्य रेखीय बांधों का निर्माण कराया गया। बरसात से सकराया, सेही बाबूगढ़, मई, शेरगढ़ बसई के बांध बह गए।
गांव बाबूगढ़ के किसान चरन ¨सह ने बताया कि उनके क्षेत्र में करीब डेढ़ सौ बांध थे, जो बरसात के पानी के कारण क्षतिग्रस्त हो गए हैं। खेतों की मेड़ भी टूट गई है। पानी सीधे यमुना में गिर रहा है। तेजी से मिट्टी कटान हो रहा है। खेतों में खाई बन रही है। इधर, यमुना ने भी अपनी राह बदलना शुरू कर दिया है। यमुना के दोनों किनारे की करीब 80 किलोमीटर क्षेत्र के 35 हजार हेक्टेयर भूमि का तेजी से कटान की चपेट में आ गई है। भूमि संरक्षण अधिकारी डॉ. सन्तराम ने बताया कि जो बांध क्षतिग्रस्त हो गए हैं। उनकी मरम्मत कराने के प्रयास किए जाएंगे।