प्राकट्योत्सव पर स्वामी हरिदास का किया महाभिषेक
टटिया स्थान में छाया उल्लास, संतों ने समाज गायन में सुनाए स्वामीजी के पद
जागरण संवाददाता, वृंदावन: संगीत सम्राट स्वामी हरिदास के प्राकट्योत्सव पर सोमवार को उनकी साधना स्थली निधिवन राज मंदिर से लेकर हरिदासीय संप्रदाय के हर आश्रम में उल्लास नजर आया। भोर में निधिवन राज स्थित स्वामीजी के समाधि स्थल पर सेवायतों ने उनके विग्रह का पंचामृत से महाभिषेक किया। आरती उतारकर बधाई गायन से भक्तों ने उन्हें रिझाया। टटिया स्थान में भी स्वामीजी के प्राकट्योत्सव पर संतों ने समाज गायन में उनके रचित पदों का गायन किया तो श्रद्धालुओं ने भी गुरु गद्दी का पूजन कर उनके प्रति कृतज्ञता जताई।
ठा. बांकेबिहारीजी के प्राकट्रय स्थल और स्वामी हरिदास की साधना स्थली निधिवन राज मंदिर में सोमवार की सुबह भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। हर कोई स्वामीजी को जन्मोत्सव की बधाई देने पहुंच रहा था। सेवायत भिक्की गोस्वामी व बच्चू गोस्वामी ने स्वामीजी के समाधि स्थल पर उनके विग्रह का पंचामृत से महाभिषेक किया तो श्रद्धालुओं ने बधाई गायन शुरू कर दिया।
स्वामी हरिदास की साधना स्थली निधिवन राज मंदिर में महाभिषेक के दर्शन कर श्रद्धालुओं ने उनके लढ़ैते ठा. बांकेबिहारीजी के दर्शन किए। बांकेबिहारी मंदिर में भी दिनभर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। हरिदासीय संप्रदाय के प्रमुख आश्रम टटिया स्थान में भी स्वामीजी के जन्मोत्सव का उल्लास सुबह से ही छाया था। श्रद्धालु अपने गुरु स्थान पर स्वामी हरिदास के करुआ गुदड़ी के दर्शन कर आल्हादित हो रहे थे। टटिया स्थान पर दोपहर में समाज गायन हुआ और देर शाम तक श्रद्धालुओं का मेला सा लगा रहा। -मट्ठे की अरबी का परोसा भोग:
स्वामी हरिदास को मट्ठे से तैयार मसाले वाली अरबी पसंद थी। यही कारण है कि उनके जन्मोत्सव में टटिया स्थान में हमेशा मट्ठे व मसाले की अरबी जरूर परोसी जाती है। इसका प्रसाद पाकर श्रद्धालु धन्य हुए।