ब्रजगोपिकाओं ने श्रीकृष्ण को मांगा था वर के रूप में
मां कात्यायनी की पूजा युवतियों की कर रही मनोकामना पूरी
वृंदावन, जासं। नवरात्र के छठे दिन मां दुर्गा के स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की होती है। मां कात्यायनी ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं। पौराणिक मान्यता है कि ब्रजगोपियों ने श्रीकृष्ण को पाने के लिए इनकी पूजा की थी। इसके बाद ही श्रीकृष्ण ने मां कात्यायनी के वरदान को पूरा करने के लिए वंशीवट पर ब्रजगोपियों के साथ महारास लीला की थी।
मान्यता है कि आज भी अविवाहित युवतियां अगर मां कात्यायनी देवी की सच्चे मन से पूजा करती हैं, तो उनके विवाह का योग जल्दी बनता है। जिन युवतियों के विवाह में विलम्ब हो रहा हो तो उनके लिए कात्यायनी देवी के मंत्र का जप अति लाभदायक होता है। ऐसा उल्लेख भागवत पुराण में भी है।
श्रीमदभागवत में वर्णन है:
कात्यायनी महामाये, महा योगिन्यधीश्वरी।
नंद गोप सुतं देवि, पति में कुरुते नम:।।
उल्लेख है कि द्वापर में भगवान श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने के इच्छा पाले ब्रज गोपिकाओं ने मां कात्यायनी की बालू से मूर्ति बनाकर एक महीने तक पूजा-अर्चना की। मां कात्यायनी ने उन्हें भगवान कृष्ण पति रूप में मिलें ऐसा वरदान दे दिया, लेकिन भगवान एक और गोपियां अनेक, ऐसा संभव न था। ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण ने वरदान को साक्षात करने के लिए ही वंशीवट के तट पर महारास किया। ब्रजगोपियां तो अनेक थीं, लेकिन उन सबके साथ एकसाथ भगवान कृष्ण ने नृत्य करके मां कात्यायानी के वरदान को साक्षात किया। -अब भी मनोकामना पूरी कर रहीं मां
आचार्य श्रीराम शास्त्री बताते हैं कि आज भी युवतियां मां कात्यायानी की विधिविधान पूर्वक पूजा-अर्चना कर मनचाहा सुहाग प्राप्त कर अपना परिवार बसा रही हैं। मंदिर में प्रतिवर्ष ऐसी दर्जनों युवतियां पूजा-अर्चना कर मां का आशीर्वाद के साथ पारिवारिक सुख शांति प्राप्त कर रही हैं।