पूजी नहीं जाती भगवान श्रीकृष्ण की पहली मूर्ति
दो हजार वर्ष पुराना शिलाखंड राजकीय संग्रहालय में मौजूद
गगन राव पाटिल, मथुरा: ब्रज में न तो कान्हा के मंदिरों की कमी है न उनके विग्रहों की। बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि कान्हा की अब तक प्राप्त पहली मूर्ति कब बनी और आज किस हालत में है। कान्हा के जन्मोत्सव की तैयारी में डूबे भक्तों को यह जानना शायद जरूरी होगा।
चलते हैं मथुरा के राजकीय संग्रहालय में। यह ¨हदुस्तान के ऐतिहासिक अवशेषों के कुछ नामचीन संग्रहालयों में से एक है। मथुरा कलाशैली के बेहतरीन नमूने यहां मिलते हैं। मथुरा वह कला है, जिसमें पहली बार देवी-देवताओं की प्रस्तर मूर्तियां बनाई गईं। गौतम बुद्ध की सबसे बेहतरीन मूर्ति इसी शैली में बनी। इसी शैली में बनी कान्हा की पहली मूर्ति मथुरा संग्रहालय में रखी है। एक ही शिला खंड पर बनी इस मूर्ति में कन्हैया का मथुरा से गोकुल गमन दिखाया गया है। प्रथम शती ईसवीं का यह शिलाखंड कुषाण काल का है, जोकि करीब दो हजार वर्ष पुराना है। इसमें दिखाया गया है कि पिता वासुदेव शिशु कृष्ण को टोकरी में उठाए यमुना पार करा रहे हैं। नदी में मगरमच्छ, कछुए और मछलियां भी हैं।
- यह मूर्ति 1917 में मथुरा के ही गताश्रम नारायण मंदिर से मिली। उसी वर्ष में मिली यह 1344वीं मूर्ति थी।
- मथुरा में लगभग तीसरी शती ई. पू. से बारहवीं शती ई. पूर्व तक यानी डेढ़ हजार वर्षाें तक शिल्पियों ने मथुरा कला की साधना की।
- कुषाण काल से मथुरा कला क्षेत्र के उच्चतम शिखर पर था। ''संग्रहालय में भगवान श्रीकृष्ण की पहली मूर्ति है। यह करीब दो हजार वर्ष पुरानी है। इसे पूजा नहीं जाता है क्योंकि बहुत कम लोगों की इसकी जानकारी है। इसके अलावा यह खंडित भी है''
- डॉ. एसपी ¨सह, उपनिदेशक राजकीय संग्रहालय मथुरा