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गंदगी में तड़पती स्लम बस्तियों की ¨जदगी, बीमारियों का खतरा

मथुरा, जागरण संवाददाता। स्लम बस्तियों की किसी भी गली में दो-चार कदम आगे बढ़ते ही गंदगी के बीच ¨जदगी तड़पती हुई सी नजर आ आ रही है। एक ओर कूड़ा-कचरा बिखरा हुआ है तो दूसरी तरफ कबाड़े के ऊंचे-ऊंचे ढेर लगे हुए हैं। महिलाओं ने नालियों से निकाली सिल्ट के गली में ही पड़ी हुई है। यहीं छोटे-छोटे बच्चे कंचा-गोलियां खेल रहे हैं। बकरियां छत और आंगन में घूम रही है। इन्हीं के मध्य में मुर्गा-मुर्गियां भी टल रही हैं। नगर निगम के सफाई वालों के शायद ही इन गलियों में कभी कभार कदम पड़ते होंगे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 Jan 2019 11:30 PM (IST)Updated: Wed, 30 Jan 2019 11:30 PM (IST)
गंदगी में तड़पती स्लम बस्तियों की ¨जदगी, बीमारियों का खतरा
गंदगी में तड़पती स्लम बस्तियों की ¨जदगी, बीमारियों का खतरा

मथुरा, जागरण संवाददाता। स्लम बस्तियों की गलियों में कदम-कदम पर गंदगी के बीच ¨जदगी तड़पती हुई सी नजर आ रही है। एक ओर कूड़ा-कचरा बिखरा हुआ है तो दूसरी तरफ कबाड़े के ऊंचे-ऊंचे ढेर हैं। नालियों से निकाली सिल्ट गली में ही पड़ी हुई है। हालत बताते हैं कि निगम के सफाई कर्मियों के कदम यहां कभी कभार पड़ते होंगे।

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शहर के बीचों-बीच बसी नई बस्ती और मछली मंडी के हालात ऐसे ही हैं। ऐसी ही बस्तियों में पलता है डिप्थीरिया का बैक्टीरिया। इसी बैक्टीरिया ने दो बच्चियों की हाल में जान ले ली। तेरह दिन पहले ही एक युवा को टीबी ने निगल लिया। उससे पहले उसका भाई भी इसी बीमारी के कारण चल बसा। कहने को नगर निगम स्वच्छता का डंका बजा रहा है। मगर, इन दोनों बस्तियों में अस्वच्छता की तस्वीर बगैर ढूंढे ही मिल जाएगी। नई बस्ती में शौचालय तक नहीं बने हैं। --सफाई के लिए कोई नहीं आता है। नेताजी (पार्षद) सुनते नहीं है। आदमी दिन भर मेहनत मजदूरी करते हैं। उनके पास इतनी फुर्सत नहीं है कि वे रोज-रोज नेताजी के घर जाएं।

मेमन, नई बस्ती --कूड़ा यहां डाला जाता है, उठाने का काम नहीं किया जाता है। सफाई कर्मचारी मुख्य मार्ग की कभी कभार सफाई करके चले जाते हैं।

इस्लाम, नई बस्ती --छोटे-छोटे मकान है। तंग गली है। एक कमरे और टीन शेड में आठ से दस लोग गुजर बसर कर रहे हैं। पेयजल भी बदबूदार आ रहा है। अधिकांश लोग रिक्शा चलाने, पल्लेदारी, कबाड़ बीनने का काम करते हैं।

- बुग्गल पहलवान, नई बस्ती --कोई नहीं सुनता है। नेता वोट लेने के बाद मुड़कर नहीं देखते हैं। दिन भर की दिहाड़ी से पेट भर पाता है। बीमार पड़ जाए तो प्राइवेट डॉक्टर की फीस देकर उपचार तक नहीं करा पाते हैं।

- बुद्धा, नई बस्ती --बस्ती की सफाई को लेकर महापौर और नगर आयुक्त को अवगत कराया गया है। साफ-सफाई के लिए कर्मचारियों की संख्या बढ़ाए जाने को कहा गया है। बस्ती के विकास के प्रयास भी किए जा रहे हैं।

-अब्दुल मलिक, पार्षद प्रतिनिधि


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