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आवारा जानवरों से दहशत में जिदगी

यूं तो जानवर व इंसानों के बीच प्रेम व वफादारी के रिश्ते होते है लेकिन यही जब घातक हो जाते है तो जिदगी में मुश्किल खड़ी कर देते है। आवारा कुत्तों और बंदरों की बढ़ रही संख्या से अब यही स्थिति उतपन्न हो रही है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Apr 2019 11:33 PM (IST)Updated: Thu, 25 Apr 2019 11:33 PM (IST)
आवारा जानवरों से दहशत में जिदगी
आवारा जानवरों से दहशत में जिदगी

सुरीर : यूं तो जानवर व इंसानों के बीच प्रेम व वफादारी के रिश्ते होते है, लेकिन यही जब घातक हो जाते है तो जिदगी में मुश्किल खड़ी कर देते है। आवारा कुत्तों और बंदरों की बढ़ रही संख्या से अब यही स्थिति उत्पन्न हो रही है। हर माह दर्जनों लोग आवारा कुत्तों व बंदरों के काटने का शिकार हो रहे है। इतना ही नहीं कई घटनाएं ऐसी हो गई है जिसमें कई की जिदगी दांव पर लग गयी है। वन एवं जंगल में अधाधुंध कटान से बंदर आबादी की ओर भाग रहे हैं। जो शहरों से लेकर गांव देहात तक में अपनी फौज के साथ धमाचौकड़ी मचा रहे हैं। यही हाल आवारा कुत्तों का है जिनके झुंड जिधर-देखो उधर ही घूमते नजर आ रहे हैं। इनसे तनिक सी असावधानी बड़ी मुसीबत का कारण बन जाती है। हाल यह हो गया है कि छतों पर बंदर एवं गलियों में कुत्तों ने आतंक मचा रखा है।महिलाएं और बच्चों ही नहीं आम लोगों का जीना भी मुहाल हो रहा है। सुरीर क्षेत्र में पिछले एक वर्ष में कुत्ते एवं बंदरों के काटने से करीब दो सौ लोग घायल हो चुके हैं। सुरीर अस्पताल में एंटी रैबीज इंजेक्शन की सुविधा न होने से पीड़ित लोगों को इंजेक्शन लगवाने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नौहझील की ओर दौड़ लगानी पड़ रही है।

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बंदरों ने लोगों का जीना मुश्किल कर रखा है। घरों में घुस कर नुकसान करने के अलावा आए दिन हमला कर महिलाओं एवं बच्चों को लहुलूहान कर रहे हैं। लगातार बढ़ रहे बंदरो के आतंक से निजात दिलाने के लिए प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।

- कृष्ण कुमार गुप्ता, अध्यक्ष व्यापार मंडल।

कुत्ता एवं बंदर समेत आवारा जानवरों के काटने की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए सुरीर अस्पताल में एंटी रैबीज इंजेक्शन उपलब्ध कराएं। जिससे पीड़ितों को इंजेक्शन के लिए दूर तक न भटकना पड़े।

- भूपेंद्र सिंह राजपूत, अध्यक्ष युवा क्षत्रिय महासभा।


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