नंदगांव में हुरियारों पर बरसीं प्रेम रस भरी लाठियां
बरसाने में होरी खेलने के बाद गोपियां नंदगांव पहुंचीं। ग्वाल बाल सिर पर पाग बांध ढाल लिए आए। हुरियारों पर नंदगांव की हुरियारिनों ने नेह भरी लाठियां बरसाईं।
By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 07 Mar 2017 10:11 PM (IST)Updated: Tue, 07 Mar 2017 10:17 PM (IST)
मथुरा (जेएनएन)। बरसाने में श्याम संग होरी खेलने के बाद गोपियां फगुआ मांगने नंदगांव पहुंचीं। गोपियों के भाव से ग्वाल बाल सिर पर पाग बांध ढाल लिए आए। हुरियारों पर नंदगांव की हुरियारिनों ने नेह भरी लाठियां बरसाईं। रंगीली गली व लठामार चौक पर हुई प्रेम की इस बरसात में भीजकर रसिकों के आनंद की पार नहीं थी। जब हो हो होरी गायौ है छड़ करन लगी आवाज, जो सुख ब्रजवासिन नै पायौ है, का तीन लोक कौ राज... हुरियारे जब होरी गाने लगते हैं, तभी गोपियों की आवाज शुरू हो जाती है।
बरसाने के हुरियारे धोती, बगलबंदी, पाग बांधे नंदगांव लठामार खेलने गए। सबसे पहले वे यशोदा कुंड पहुंचे जहां उनका स्वागत किया गया। वहां उन्होंने पाग बांधकर भांग छानी। इसके बाद ठिठोली करते हुए नंदभवन आए, जहां उनको रंग में तर-बतर किया गया। चहुंओर अबीर, गुलाल और केसरिया रंग की बारिश से नंदभवन सराबोर हो गया। हुरियारों ने कृष्ण-बलराम को गुलाल लगाया और फगुआ की गुहार की।
समाज गायन में पद गाया गया, बरसाने की गोपी फगुवा मांगन आई, कियौ जुहार नंदजू कों भीतर भवन बुलाई...। उसके बाद कान्हा के लिए अनुराग भरी गालियां गाई गईं।
आवौ री सखी आवौ। बृजराज कूं गारी सुनावौ। समाज गायन के बाद नंदगांव की गोपियों से हास-परिहास करते हुए रंगीली गली से होकर हुरियारे निकले। वहां पर होरी के रसिया गाने लगे। सज-धज कर सखियां हाथों में ल_ लिए बाहर आईं। इत आईं ब्रजबाल, मृगनैनी गज गमिनी, टेके हैं मदन गुपाल, घन घेरयौ जनौं दामिनी।
दरवाजे पर आईं सखियों को उकसाने के लिए हुरियारे उनको भी प्रेम पगी गालियां सुनाने लगे। इसके बाद रंगीली गली एवं लठामार होली चौक पर सभी हुरियारे एकत्रित हुए। हंसी-ठिठोली के बीच प्रेम की लाठियां बरसीं। हुरियारे ढालों की ओट से उछल-उछल कर लट्ठों की चोट ले रहे थे। सखियां भी अड़-अड़के होली खेल रही थीं। इस प्रकार नंदगांव की गोपियों से बरसाने के हुरियारे हार गए और उनके पैर स्पर्श कर बरसाना के लिए प्रस्थान किया।
विदेशियों ने देखी होली
नंदगांव की लठामार देखने के लिए विदेशियों का ग्रुप भी आया। ये लोग भी ब्रज की होरी के रंग में रंग गए। कोई कैमरे से इस अद्भुत दृश्य को कैद करता रहा तो कोई रंग में सराबोर होता रहा। बरसाने से फगुआ मांगने के लिए गोपियों का संकेत स्वरूप धरे हुरियारे राधारानी की प्रतीक झंडी लेकर मंगलवार दोपहर बाद तीन बजे बरसाना पहुंचे। यहां उन्होंने यशोदा कुंड में डेरा डाला। इस जगह पर नंदगांव वालों ने उनका स्वागत किया। इन हुरियारों की पगड़ी में गोपियों का प्रतीक स्वरूप चुनरी का प्रतीक गोटा लगा रहता है। इसके बाद हुरियारे भांग छानकर यहां से फगुआ मांगने नंद बाबा के नंद भवन पहुंचे।
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