भीख के लिए ठुकरा रहीं आश्रय की सीख
कृष्णा कुटीर में मुफ्त की दैनिक जरूरतों को छोड़ भिक्षा मांग रहीं माताएं, सड़क किनारे गिड़गिड़ाना और किराए के कमरे में रहना पसंद
जागरण संवाददाता, वृंदावन: अपनी बदहाली का हवाला देकर हाथ फैलातीं निराश्रित माताओं के लिए हाल में ही कृष्णा कुटीर आश्रय सदन शुरू हुआ है। मगर, ये माताएं भीख के आगे आश्रय की सीख ठुकरा रही हैं।
सरकार द्वारा संचालित इस कुटीर में एक हजार माताओं के रहने-ठहरने और खानपान आदि के इंतजाम हैं। मंदिर दर्शन जाने को ई-रिक्शा खड़े रहते हैं। लेकिन, भिक्षा मांगती निराश्रितों को ये आग्रह रास ही नहीं आ रहा है। अब तक यहां पर सिर्फ 35 माताओं ने ही आश्रय लिया है। निराश्रितों के लिए नगर में कई सरकारी और निजी आश्रय सदन हैं। यहां पर तमाम माताओं के रहने की गुंजाइश है। जबकि नगर में राधे-राधे कहते हुए भीख मांगतीं तमाम निराश्रित महिलाएं नजर आती हैं। बांके बिहारी मंदिर पर भीख मांग रही वृद्धा श्यामादासी आश्रय सदन रहने के लिए कितने रुपये मिलने की बात कहने लगती हैं। -निराश्रित और विधवा महिलाओं से आश्रय सदन में आने के लिए कहा जाता है, तो वह पैसे मिलने की बात पहले कर रही हैं।
वंदना मिश्रा--कृष्णा कुटीर आश्रय सदन की अधीक्षिका --भिक्षावृत्ति कर रही माताओं को सदन में लाने के प्रयास किए गए थे, लेकिन वे आने को राजी ही नहीं हो रही हैं।
अनुराम श्याम रस्तोगी, जिला प्रोबेशन अधिकारी