तंत्र तो जागा ही, खुद भी सलीके में आए यात्री
ट्रेन हादसे की जो वजह दैनिक जागरण ने उकेरीं, उन पर दूसरे दिन हुआ असर
देव शर्मा, कोसीकलां: मंगलवार को हुए रेल हादसे के बाद यात्रियों ने कुछ तो सबक लिया। देर से ही सही, तंत्र भी होश में आया। बुधवार को इंटरसिटी एक्सप्रेस के पहुंचने पर न तो यात्रियों ने पटरियां पार कीं और न रोज की तरह कूदफांद दिखी। पूछने पर कहा, ¨जदगी जोखिम में डाल दे ऐसी जल्दबाजी से देर भली।
'दैनिक जागरण' ने हादसे के कारणों की पड़ताल की थी। इस खबर से जीआरपी व रेलवे स्टाफ के साथ यात्रियों ने भी सबक लिया। बुधवार को ट्रेनों के ठहराव के समय प्लेटफार्म रोजमर्रा की तरह ही खचाखच थे, मगर प्लेटफार्म बदलने के लिए लोग फुट ओवरब्रिज का ही सहारा ले रहे थे। पटरी फांदकर दूसरे प्लेटफार्म पर जाने की जुर्रत कोई करता नहीं दिखा। जीआरपी भी लाइन पर नजर बनाए रही। स्टेशन स्टाफ भी सक्रिय रहा।
इंटरसिटी एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय सुबह 7.39 से नौ मिनट विलंब से 7.48 बजे स्टेशन पर आई। दो मिनट के ठहराव के बाद यह दिल्ली की ओर रवाना हो गई। ट्रेन के आने से पहले हमेशा की तरह प्लेटफार्म पर भीड़ थी। यात्री जो कल तक पटरी फांदकर ट्रेन में चढ़ते थे, वे आज खुद ही फुट ओवरब्रिज का इस्तेमाल करते दिखे। इसके चलते सूना रहने वाला फुट ओवरब्रिज खचाखच भरा नजर आ रहा था। पहले अक्सर देखा जाता था कि ट्रेन के पीछे के दो-चार डिब्बे प्लेटफार्म से बाहर रह जाते थे और विलंब से आने वाले यात्री पटरी लांघकर बोगी में सीट घेरने का प्रयास करते थे। आरपीएफ के जवान इन पर निगाहें गड़ाए रहे। अन्य ट्रेनों के ठहराव के दौरान भी ऐसा ही देखने को मिला। स्टेशन से रोज जाते हैं पांच हजार दैनिक यात्री
इस रेलवे स्टेशन से रोजाना पांच हजार से ज्यादा यात्री ट्रेनों के जरिए दिल्ली तक का सफर करते हैं। इनमें दो हजार से ज्यादा तो एमएसटी धारक हैं। ये लोग ज्यादातर फरीदाबाद व दिल्ली की विभिन्न फैक्ट्रियों में काम करने जाते हैं। स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार करने वाले यात्रियों के बीच मंगलवार को हुए हादसे की चर्चा रही।
--
पिछले 14 साल से कोसी से दिल्ली तक यात्रा कर रहे हैं, लेकिन कभी लाइन पार करने का जोखिम नहीं उठाया। हर कोई अपने जीवन के लिए सावधानी बरते तो दुर्घटनाएं ना हों।
राम प्रताप, दैनिकयात्री