हुरियारिनों के प्रेम पगी लाठियों से खूब पिटे हुरियारे
हास परिहास के बीच गलियों में जमकर हुआ हुरंगा हुरियारों के रंग में रंगा बठैनकलां
कोसीकलां(मथुरा), संसू। जाव के हुरियारे बठैन में हुरंगा खेलने पहुंचे तो गलियों में उन पर अबीर-गुलाल की ग्रामीणों ने बरसात कर दी। प्राचीन पंरपरा के रंग में सराबोर हुरियारों ने हुरियारिनों की प्रेम पगी लाठियों से खूब पिटे। हास हरिहास के बीच हुरियारे मस्ती में नाच गाकर हुरियारिनों को रिझाते नजर आए।
गोपी स्वरूप हुरियारिनों ने हुरियारों से घिरे दाऊजी की पताका तक पहुंचने के लिए आनंदमयी खींचतान की। लेकिन दाऊजी महाराज हुरियारिनों के हाथ नहीं आए। हुरंगा का बदला लेने के लिए शनिवार को जाव के हुरियारे बठैन में हुरंगा खेलने पहुंचे। दोपहर को ही हुरियारों की अलग- अलग टोलियां गांव में पहुंच गई। बठैन की सरदारी द्वारा हुरियारों को अबीर- गुलाल लगाकर स्वागत किया। हुरियारों की खातिरदारी के लिए भी जगह-जगह इंतजाम किए गए थे। शाम ढलते ही हुरियारों की टोलियां गलियों में हुरंगा खेलने के लिए उतर गई। दाऊजी की पताका को घेरकर दर्जन भर नगाड़े एवं ढप ढोल बजाते हुए हुरियारे चल रहे थे। जब हुरियारे समाज गायन कर रहे थे तभी ग्रामीणों ने गुलाल एवं अबीर बरसाकर उनका स्वागत किया। दाऊजी की झंडी के पीछे सींग की झंडियां लेकर युवा हुरियारे चल रहे थे। शोभायात्रा गांव के बाहर हुरंगा मैदान पर पहुंची। जहां घूंघट ओढ़े और हाथों में लाठियां लिए स्थान-स्थान पर खड़ी थी और बरसाने की लट्ठमार होली की भांति डंडों से हुरियारों पर लकड़ी के विशेष प्रकार से बने हलों पर वार कर रही थीं। देर शाम तक कसमकस के बीच हुरियारिने झंडी वाले हुरियारे तक नहीं पहुंच पाई। इसके बाद दाऊजी महाराज के जयघोष कर हुरियारों ने विदा ली। ठंडाई और हुक्का से स्वागत: जाव के हुरियारे जब गांव बठैन में हुरंगा खेलने पहुंचे तो बठैन में जगह-जगह पर उनका जोरदार स्वागत हुआ। बठैन के लोगों ने ठंडाई, भांग एवं हुक्का से उनका परंपरागत स्वागत किया। इसके बाद जमकर गुलाल और अबीर बरसा कर हुरियारों को रंगों से सराबोर कर दिया गया।